दाएं: ईरानी विदेशमंत्री सैयद अब्बास इराक़ची, बाएं: पश्चिम एशियाई मामलों में अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेषदूत स्टीव वैटकॉफ़
तेहरान के खिलाफ प्रतिबंधों को हटाने के लिए ईरान और अमेरिका के बीच इनडायरेक्ट बातचीत शनिवार को ओमान की राजधानी मस्कत में हुई।
अंततः, दो महीने की राजनीतिक बहस और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में हंगामे के बाद, ईरान ने अमेरिका के साथ इनडायरेक्ट बातचीत करने पर सहमति व्यक्त की, यह वार्ता तीसरे देश के रूप में ओमान की राजधानी मस्कत में शनिवार को हुई।
ओमान वार्ता ईरान और अमेरिका के बीच तनाव को कम करने के कूटनीतिक प्रयासों का हिस्सा है, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम, प्रतिबंधों और क्षेत्रीय तनाव सहित विभिन्न मुद्दों पर वर्षों से बढ़ता जा रहा है।
हालांकि, ईरानी राजनयिक अधिकारी इस वार्ता को अमेरिका के इरादों को जानने के लिए एक परीक्षण मान रहे हैं। इसमें ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता "इस्माईल बक़ाई हामाने" भी शामिल हैं, जिन्होंने शुक्रवार को ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता की पूर्व संध्या पर सोशल नेटवर्क X पर एक पोस्ट में लिखा था।
उन्होंने लिखा: सद्भावना और पूर्ण सतर्कता के साथ, हम कूटनीति को एक वास्तविक अवसर दे रहे हैं, अमेरिका को इस निर्णय की सराहना करनी चाहिए, जो उनकी शत्रुतापूर्ण बयानबाजी के बावजूद लिया गया।
ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि तेहरान न तो पूर्वाग्रह रखता है और न ही भविष्यवाणी करता है, कहा: ईरान शनिवार को दूसरे पक्ष के इरादों और गंभीरता का मूल्यांकन करने और उसके अनुसार अपने अगले कदमों को समायोजित करने का इरादा रखता है।
इससे पहले, ईरानी विदेशमंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने अमेरिकी अख़बार द वाशिंगटन पोस्ट में एक लेख में ओमान में वार्ता को एक परीक्षा माना था और लिखा था: गेंद अमेरिका के पाले में है।
इस संबंध में, ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति आयोग के प्रेसीडियम के सदस्य बहनाम सईदी ने कहा कि अमेरिका के साथ ईरान की अप्रत्यक्ष वार्ता, शांतिपूर्ण परमाणु मुद्दे, रक्षा और मिसाइल शक्ति की आवश्यकताएं, ईरान की लाल रेखाएं हैं।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि: शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा और मिसाइल तथा रक्षा क्षमताएं रखना, ईरान का अधिकार है और हम इन मामलों पर किसी भी देश के साथ बातचीत नहीं करेंगे।
अमेरिकी विदेशमंत्री मार्क रुबियो ने आशा व्यक्त की कि ईरान के साथ अमेरिकी वार्ता से शांति की दिशा में आगे बढऩे में मदद मिलेगी।
दूसरी ओर, पश्चिम एशियाई क्षेत्र में तनाव, युद्ध और संघर्ष की जड़, अर्थात् ज़ायोनी शासन, अंतर्राष्ट्रीय वातावरण में कूटनीतिक प्रक्रिया की संप्रभुता के बारे में चिंतित है।
ज़ायोनी अख़बार द जेरूसलम पोस्ट ने ओमान में ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता पर अपनी नवीनतम प्रतिक्रिया में एक लेख में जानकार ज़ायोनी स्रोतों का हवाला दिया है
अख़बार ने लिखा: वरिष्ठ इज़रायली सूत्रों ने चिंता व्यक्त की है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ईरान के साथ एक ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं जिसे इज़राइल "कमज़ोर" या "मध्यम" मानता है।
हालांकि ईरान, अमेरिका के प्रति निराशावादी बना हुआ है, और यह निराशावाद अमेरिका के विरोधाभासी व्यवहार से उपजा है, जिसके मूल में तेहरान के विरुद्ध दशकों से लगाए गए दमनकारी व ज़ालिम प्रतिबंध हैं। हाल ही में, जबकि तेहरान और वाशिंगटन ओमान में अप्रत्यक्ष वार्ता कर रहे हैं, अमेरिका, ज़ायोनी लॉबी के प्रभाव में, तेहरान पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
शनिवार की इनडायरेक्ट वार्ता से पहले, अमेरिकी वित्तमंत्रालय ने तेल उद्योग पर प्रतिबंधों को दरकिनार करने में ईरान की मदद करने के आरोप में एक व्यक्ति और चार कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। (AK)