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Saturday, 24 May 2025

तेल अवीव और उसकी लॉबी अमेरिका और ईरान के बीच समझौता होने में बड़ी रुकावट है, मीयरशायमा

तेल अवीव और उसकी लॉबी अमेरिका और ईरान के बीच समझौता होने में बड़ी रुकावट है, मीयरशायमा
अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख विचारक जॉन मीयरशायमा ने अमेरिकी विदेश नीति की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वाशिंगटन, ज़ायोनी शासन के दबाव में, ईरान में यूरेनियम के संवर्धन की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं है।

अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रमुख विचारक जॉन मीयरशायमा ने विदेश नीति के क्षेत्र में, विशेषकर ईरान, ग़ज़ा और यूक्रेन के मुद्दों पर डोनल्ड ट्रम्प प्रशासन के प्रदर्शन की आलोचना की। पार्स टुडे के अनुसार, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ज़ायोनी शासन और वाशिंगटन में उसकी लॉबी के दबाव में, अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु वार्ता को ख़तरे में डाल दिया है। ग़ज़ा में ज़बरदस्त नरसंहार के बावजूद वह चुप है और यूक्रेन में युद्ध में एक असफल रणनीति पर चल रहा है।

मीयरशायमा का कहना था कि ट्रम्प और उनकी टीम ने शुरू में ईरान के साथ समझौता करने की कोशिश की थी, और यहां तक ​​कि अमेरिकी वार्ता टीम में लचीलेपन के संकेत भी थे। उन्होंने आगे कहाः मध्य पूर्व के लिए ट्रम्प के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ़ ने शुरू में ईरान के संवर्धन कार्यक्रम को सीमित स्तर पर जारी रखने पर सहमति व्यक्त की थी, क्योंकि वे समझते थे कि इसके बिना कोई समझौता संभव नहीं होगा।

प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संबंध विचारक ने कहाः विटकॉफ़ ने शुरू में ईरान को संवर्धन की अनुमति दी थी, क्योंकि वह जानते थे कि समझौते तक पहुंचने का यही एकमात्र तरीक़ा था, लेकिन इज़राइल और उसकी लॉबी को यह अस्वीकार्य था। इज़राइल और अमेरिकी सुरक्षा प्रतिष्ठान के भीतर चरमपंथी तत्वों की ओर से दबाव बढ़ने के बाद, विटकॉफ़ को पीछे हटने और अपनी मांगों को बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा।

उन्होंने कहाः ट्रम्प और स्टीव विटकॉफ़ को यह संदेश दिया गया कि किसी भी स्तर पर संवर्धन स्वीकार्य नहीं है।

मीयरशायमा ने कहाः स्थिति में परिवर्तन सुरक्षा संबंधी अनिवार्यताओं के कारण नहीं, बल्कि इज़रायली हितों के प्रति अमेरिका पर दबाव के कारण हुआ। उनका मानना ​​है कि ईरान को अंतर्राष्ट्रीय संधियों के आधार पर शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम चलाने का अधिकार है, और यूरेनियम संवर्धन के स्तर को बनाए रखने की तेहरान की इच्छा एक वैध इच्छा है।

क्या ट्रम्प और नेतन्याहू के बीच मतभेद वास्तविक है?

ट्रम्प और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच कथित मतभेदों की वास्तविक प्रकृति के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में, मीयरशायमा ने कहाः ट्रम्प मध्य पूर्व के लिए एक अलग दृष्टिकोण अपना सकते हैं, लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं है कि वह नेतन्याहू और इज़रायल लॉबी के सामने खड़े होना चाहते हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान, फ़िलिस्तीन और क्षेत्रीय दृष्टिकोण जैसे प्रमुख मुद्दों पर ट्रम्प व्यावहारिक रूप से उन्हीं नीतियों का अनुसरण कर रहे हैं, जो तेल अवीव को संतुष्ट करती हैं।

ग़ज़ा में पश्चिम की सहमति से मानवीय तबाही

मीयरशायमा ने स्पष्ट रूप से ग़ज़ा में जो कुछ हो रहा है उसे "नरसंहार" क़रार दिया और कहा कि ज़ायोनी शासन व्यवस्थित रूप से भुखमरी और कुपोषण को युद्ध के उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

उन्होंने कहा, "ऐसी भी ख़बरें हैं कि कुछ ट्रकों में भोजन की जगह कफ़न ले जाया जा रहा है।" मानवीय सहायता सीमित है और व्यावहारिक रूप से लोगों तक कुछ भी नहीं पहुंचता है।

प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संबंध विचारक ने हारून मतेह जैसे पत्रकारों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा: "सहायता का स्तर इतना कम है कि ग़ज़ा में प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन केवल चार बिस्किट मिलते हैं।"

ग़ज़ा में शासन की नीति के लिए व्यापक ज़ायोनी समर्थन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा: "इज़राइल में इन नीतियों के ख़िलाफ़ कोई सार्थक विरोध नहीं है। यह समाज नैतिक रूप से ढह रहा है। यह वैसा ही है जैसा हमने नाज़ी जर्मनी में देखा था।" msm