दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच चल रही ट्रेड वॉर को थामने की दिशा में एक बड़ा मोड़ आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दक्षिण कोरिया में हुई हालिया मुलाकात के बाद व्हाइट हाउस ने एक नया व्यापार समझौता घोषित किया है। इसके तहत चीन ऑटोमोटिव कंप्यूटर चिप्स के निर्यात पर लगी पाबंदियों को धीरे-धीरे कम करेगा, जो वैश्विक ऑटो इंडस्ट्री के लिए राहत की सांस है। व्हाइट हाउस की जारी फैक्ट शीट में इस डील के कई अहम बिंदु सामने आए हैं, जो दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने की कोशिश दिखाते हैं।
चिप्स पर ढील: ऑटो सेक्टर को मिलेगी नई गति व्हाइट हाउस के मुताबिक, यह समझौता अप्रैल 2025 और अक्टूबर 2022 में चीन द्वारा लगाए गए एक्सपोर्ट कंट्रोल्स को 'डी फैक्टो रिमूवल' करने जैसा है। खासतौर पर कारों में इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर चिप्स पर फोकस है, जो सेमीकंडक्टर कंपनी नेक्सपेरिया जैसे सप्लायर्स के शिपमेंट्स को फिर से शुरू करने का रास्ता साफ करेगा। ट्रंप प्रशासन ने इसे 'हिस्टोरिक ट्रेड एग्रीमेंट' करार दिया है, जो अमेरिकी मैन्युफैक्चरर्स को चीनी सप्लाई चेन पर निर्भरता कम करने में मदद देगा। दक्षिण कोरिया में इस हफ्ते हुई ट्रंप-शी की मुलाकात के ठीक बाद यह घोषणा आई, जहां दोनों नेताओं ने हाथ मिलाकर ट्रेड बैरियर्स हटाने का संकेत दिया था।
व्यापक डील: सोयाबीन से फेंटानिल तक, कई मोर्चों पर सहमति यह समझौता सिर्फ चिप्स तक सीमित नहीं है। व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट में अमेरिकी सोयाबीन निर्यात को बढ़ावा देने, रेयर अर्थ मिनरल्स की आपूर्ति सुधारने और फेंटानिल ड्रग बनाने वाली सामग्री पर नियंत्रण मजबूत करने पर भी सहमति का जिक्र है। चीन ने रेयर अर्थ एक्सपोर्ट कर्व्स को सस्पें्ड करने और अमेरिकी चिप फर्म्स पर जांच रोकने का वादा किया है। अमेरिका ने बदले में 10 नवंबर 2025 से एक साल के लिए रिस्पॉन्सिव एक्शन्स (टैरिफ्स) को सस्पेंड करने का ऐलान किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डील वैश्विक बाजारों में स्थिरता लाएगी, जहां ट्रेड वॉर से पहले ही अस्थिरता हावी थी।
ट्रेड वॉर का बैकग्राउंड: टैरिफ्स की जंग से सबक ट्रंप के 2025 में दोबारा सत्ता संभालने के बाद अमेरिका ने चीन पर भारी टैरिफ्स लगाए थे, जिसका जवाब चीन ने अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर काउंटर-टैरिफ्स से दिया। इससे सोयाबीन किसानों से लेकर टेक कंपनियों तक सब प्रभावित हुए, और वैश्विक सप्लाई चेन में उथल-पुथल मच गई। लेकिन अब यह डील ट्रेड वॉर को 'ट्रूस' की ओर ले जाती दिख रही है। पॉलिटिको और रॉयटर्स जैसे स्रोतों के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के बीच 'की इरिटेंट्स' को दूर करने की दिशा में है, जो भविष्य में और बड़े समझौतों का द्वार खोल सकता है। यह कदम न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बूस्ट देगा, बल्कि एशियाई बाजारों में भी सकारात्मक लहर पैदा करेगा। क्या यह ट्रेड वॉर का अंतिम अध्याय है? आने वाले दिनों में नजरें दोनों नेताओं पर टिकी रहेंगी।
✒️सज्जाद नायाणी