नैटो देशों ने बहुत बड़े पैमाने पर हवाई सैन्य अभ्यास किया है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि संगठन के इतिहास का सबसे बड़ा हवाई सैन्य अभ्यास है।
यह सैन्य अभ्यास जर्मनी के समन्वय से हुआ और इसका मक़सद रूस पर यह जताना था कि उसके मुक़ाबले में सारे नैटो सदस्य एकजुट हैं।
यह सैन्य अभ्यास जर्मनी, चेक, स्टोनिया और लैटविया के आसमान में किया गया।
एयर डिफ़ेंस 23 के नाम से आयोजित होने वाला यह सैन्य अभ्यास 23 जून तक जारी रहेगा। वायु सैन्य अभ्यास में ढाई सौ सैनिक विमान और 10 हज़ार सैनिक शामिल हो रहे हैं। नैटो के 25 सदस्य देश और घटक देश इसमें हिस्सा ले रहे हैं।
सैन्य अभ्यास का मक़सद यह है कि अगर शहरों, एयरपोर्टों और बंदरगाहों पर क्रूज़ मिसाइलों से हमला हो जाए तो उस स्थिति में किस तरह समन्वित रिएक्शन होना चाहिए।
इस सैन्य अभ्यास का विचार 2018 में पेश किया गया यह 2014 की घटना के जवाब में था जब रूस ने क्रीमिया का विलय कर लिया था।
जर्मनी के वायु सेना कमांडर जनरल इंगो गेरहार्ट्स ने कहा कि यह किसी के लिए भी धमकी नहीं है। उनका दावा था कि नैटो का इरादा अपनी धरती की रक्षा करने का है। उन्होंने कहा कि नैटो एक रक्षात्मक संगठन है और इसी आधार पर इस अभ्यास की योजना बनाई गई है।
अलबत्ता जर्मन कमांडर के बयान से अलग हटकर देखा जाए तो नैटो अपनी विनाशकारी योजनाओं और जंगों के लिए दुनिया में काफ़ी बदनाम है।