बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस बार की इफ़्तार पार्टी ने राजनीतिक हलकों में खास ध्यान खींचा.
इमारत-ए-शरिया और छह अन्य मुस्लिम संगठनों ने इस आयोजन का बहिष्कार किया.
यह पहला मौक़ा था जब नीतीश कुमार की इफ़्तार दावत का इस तरह से विरोध हुआ. विरोध की वजह थी वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024, जिस पर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने समर्थन दिया है.
इस बहिष्कार ने नीतीश कुमार और बिहार के मुस्लिम समुदाय के रिश्तों की मौजूदा स्थिति को सार्वजनिक तौर पर सामने ला दिया है. वही संबंध जिसकी राजनीतिक ज़मीन उन्होंने बीते दो दशकों में तैयार की थी.
22 मार्च को इमारत-ए-शरिया ने बहिष्कार का पत्र जारी किया. ये संस्था सौ साल से भी ज़्यादा पुरानी है.
उसमें लिखा गया, "आपने धर्मनिरपेक्ष शासन और अल्पसंख्यकों के अधिकार की सुरक्षा के वादे पर सत्ता हासिल की थी लेकिन बीजेपी के साथ आपका गठबंधन और अतार्किक व असंवैधानिक वक्फ़ बिल को आपका समर्थन आपके उन्हीं वादों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है."