Breaking

यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Sunday, 8 June 2025

ईरान के राष्ट्रपति: अगर हम इमाम ख़ुमैनी की बातों पर अमल करें, तो कोई भी ताक़त हमसे ज़बरदस्ती नहीं कर सकती 

ईरान के राष्ट्रपति: अगर हम इमाम ख़ुमैनी की बातों पर अमल करें, तो कोई भी ताक़त हमसे ज़बरदस्ती नहीं कर सकती 
          ईरान के राष्ट्रपति मसूद पिज़िश्कियान 
ईरान के राष्ट्रपति ने इमाम ख़ुमैनी की पुण्यतिथि के अवसर पर कहा कि इमाम ने हमारे लिए जो वसीयत छोड़ी है, वही वह चीज़ है जिसकी अल्लाह ने क़ुरान में मुसलमानों को सलाह दी है।

उन्होंने कहा: अगर हम इमाम ख़ुमैनी के कथनों और उनकी बातों पर अमल करें और उनसे जुड़े रहें, तो कोई भी ताक़त हम से ज़बरदस्ती नहीं कर सकती।

ईरान के राष्ट्रपति मसूद पिज़िश्कियान ने मंगलवार की शाम इमाम ख़ुमैनी की 36वीं पुण्यतिथि पर उनके प्रशंसकों और चाहने वालों के सामने इस अवसर पर शोक व्यक्त करते हुए कहा: "इमाम की पुण्यतिथि उस महान शख़्सियत की याद दिलाती है, जिन्होंने अपने आचरण, जीवनशैली और मार्गदर्शक भाषणों के ज़रिए ईरानी राष्ट्र को सम्मान और गौरव की ओर अग्रसर किया।" 

पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार पे मसूद पिज़िश्कियान ने अत्याचार के ख़िलाफ़ इमाम ख़ुमैनी के खड़े होने के रणनीतिक संदेश का ज़िक्र करते हुए कहा: "इमाम ख़ुमैनी ने 'हम कर सकते हैं' के नारे के साथ समाज को आज़ादी, सम्मान और प्रतिरोध का रास्ता दिखाया और एक ऐसी क़ौम बनाई जो किसी भी ताक़त के सामने झुकती नहीं है।" 

ईरान के राष्ट्रपति ने आगे कहा कि इमाम ख़ुमैनी के मज़ार पर लोगों की मौजूदगी, क्रांति के आदर्शों के प्रति वफ़ादारी और प्रतिबद्धता की निरंतरता का प्रतीक है। उन्होंने कहा: काफी लोग दूर-दूर से इमाम ख़ुमैनी के मज़ार पर आते हैं, उनका नाम लेते हैं और इस पवित्र स्थान पर उनसे फिर से वादा करते हैं कि वे उनके रास्ते को जारी रखेंगे और उनके द्वारा बताए गए मार्ग से भटकेंगे नहीं।" 

इमाम ख़ुमैनी के ने इमाम ख़ुमैनी की वसीयतनामा के इस्लामी उम्माह के लिए एक रणनीतिक दस्तावेज़ के रूप में महत्व को रेखांकित करते हुए कहा: "इमाम ने हमारे लिए जो वसीयत छोड़ी है, वही वह चीज़ है जिसकी अल्लाह ने क़ुरान में मुसलमानों को सलाह दी और सिफ़ारिश की है और पैग़म्बर-ए-इस्लाम (स.अ.व.) ने भी स्पष्ट रूप से इसका आदेश दिया है।" 

ईरान के राष्ट्रपति ने ज़ोर देकर कहा: "इस वसीयतनामा का सार वही रास्ता है जिसकी ओर इमाम अली (अ.स.) और दूसरे मासूम इमामों ने अपने अनुयायियों को सलाह दी थी। अगर इमाम के मुताबिक़ अमल किया जाए और उनकी सलाह और मार्गदर्शन पर क़ायम रहा जाए, तो कोई भी ताक़त इस क़ौम और दूसरे मुसलमानों को झुका नहीं सकती।" 

पिज़िश्कियान ने इमाम ख़ुमैनी की वसीयतनामा की तर्कसंगत और न्याय-आधारित सामग्री पर ज़ोर देते हुए कहा: "इस्लाम, जिस पर हम ईमान रखते हैं, अक़्ल का दीन है, न्याय का दीन है और इंसाफ़ का दीन है। इस वसीयतनामा में दर्जनों और सैकड़ों ऐसी सलाहें हैं जो शैतानी, तानाशाह और ज़ुल्म पर आधारित हुकूमतों के ख़िलाफ़ हैं।"

ईरान के राष्ट्रपति ने कहा: "इमाम ख़ुमैनी यह भी ज़ोर देते थे कि  अल्लाह का सीधा रास्ता न पूर्व का है और न पश्चिम का। वे वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को सलाह देते थे कि इस्लामी शासन की स्थापना के लिए वे घरेलू और विदेशी साम्राज्यवादियों के प्रभाव से सावधान रहें और इस ईश्वरीय व एलाही प्रेरणा को कमज़ोर न होने दें जो क्रांति की सफलता की कुंजी है।" 

पिज़िश्कियान ने ईरान के अंदर फूट डालने और अशांति पैदा करने के दुश्मनों के प्रयासों का ज़िक्र करते हुए स्पष्ट किया: "आज अमेरिका, इस्राइल और उनके सभी एजेंट और ग़द्दार देश में फूट, मतभेद और अराजकता फैलाकर अपने धोखेबाज़ ऑपरेशनों के लिए मैदान तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वे जिस चीज़ को कभी नहीं देख सकते वह ईरानी क़ौम की एकता और एकजुटता है।

ईरान के राष्ट्रपति ने मानवाधिकार के झूठे दावेदारों के दोहरे मापदंडों का उल्लेख करते हुए कहा: "वही लोग जो मानवाधिकार का नारा लगाते हैं, हमसे कहते हैं कि न्याय, आज़ादी और मानवीय गरिमा की ओर बढ़ो, लेकिन साथ ही वे हमें परमाणु ऊर्जा, स्वास्थ्य, कृषि और उद्योग जैसे क्षेत्रों में विज्ञान, ज्ञान और प्रगति हासिल करने से रोकते हैं।" 

पिज़िश्कियान ने आगे कहा: "वे यह नहीं चाहते कि ईरानी क़ौम अपनी क्षमताओं के बल पर समस्याओं का समाधान कर सके। वे चाहते हैं कि देश की सारी वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियाँ समाप्त हो जाएँ, जबकि कोई भी स्वतंत्र इंसान ऐसे ज़ुल्म और अत्याचार को स्वीकार नहीं करेगा।" MM