पेरिस/लंदन/बर्लिन: ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी, जिन्हें सामूहिक रूप से E3 के नाम से जाना जाता है, ने ईरान को उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर कड़ा संदेश दिया है। इन तीनों यूरोपीय देशों ने संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया है कि यदि ईरान अगस्त 2025 के अंत तक परमाणु समझौते पर बातचीत फिर से शुरू नहीं करता, तो वे "स्नैपबैक मैकेनिज्म" लागू करने के लिए तैयार हैं। यह प्रावधान 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) का हिस्सा है, जिसके तहत ईरान द्वारा समझौते का उल्लंघन करने पर संयुक्त राष्ट्र के पुराने कड़े प्रतिबंध स्वतः बहाल हो सकते हैं।
E3 के विदेश मंत्रियों—फ्रांस के जीन-नोएल बैरो, ब्रिटेन के डेविड लैमी और जर्मनी के योहान वाडेफुल—ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और सुरक्षा परिषद को एक पत्र में कहा कि वे सभी कूटनीतिक उपायों का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ताकि ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोका जा सके। पत्र में चेतावनी दी गई कि यदि ईरान अगस्त के अंत तक बातचीत शुरू नहीं करता या समयसीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करता, तो E3 स्नैपबैक मैकेनिज्म को सक्रिय करने के लिए कदम उठाएंगे।
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब ईरान ने जून में इजरायल के साथ 12 दिन के युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग निलंबित कर दिया था। इस युद्ध में इजरायल और अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए थे। E3 का कहना है कि ईरान ने 2015 के समझौते की शर्तों का उल्लंघन करते हुए यूरेनियम का भंडार 40 गुना से अधिक बढ़ा लिया है, जो समझौते की सीमा से कहीं ज्यादा है।
पिछले महीने तुर्की के इस्तांबुल में E3 और ईरान के बीच बातचीत हुई थी, जिसे एक पश्चिमी राजनयिक ने "कठिन" बताया। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा था कि यूरोपीय देशों के पास स्नैपबैक लागू करने का कोई "कानूनी या नैतिक आधार" नहीं है और ऐसा करने पर उन्हें भविष्य की परमाणु वार्ता से बाहर रखा जाएगा। इसके जवाब में E3 ने उनकी आपत्तियों को "निराधार" करार दिया और कहा कि वे JCPOA के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उपयोग करने के लिए पूरी तरह से वैध हैं।
ईरान ने बार-बार दावा किया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और वह हथियार बनाने की कोशिश नहीं कर रहा। हालांकि, IAEA की हालिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ईरान ने यूरेनियम को 60% तक समृद्ध किया है, जो हथियार-ग्रेड स्तर (90%) से केवल एक तकनीकी कदम दूर है।
ईरान ने पिछले महीने कहा था कि वह बातचीत के लिए तैयार है, बशर्ते मौजूदा प्रतिबंध हटाए जाएं और उसके नागरिक परमाणु कार्यक्रम के अधिकार को मान्यता दी जाए। दूसरी ओर, E3 ने स्पष्ट किया है कि वे कूटनीतिक समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन यदि ईरान सहयोग नहीं करता, तो वे प्रतिबंध बहाल करने से नहीं हिचकेंगे।
इस बीच, ईरान के एक सांसद ने चेतावनी दी है कि यदि स्नैपबैक लागू किया गया, तो ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से हट सकता है, जिससे अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण पूरी तरह बंद हो जाएंगे। यह स्थिति क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
जैसा कि अगस्त की समयसीमा नजदीक आ रही है, वैश्विक समुदाय की नजर इस बात पर है कि क्या ईरान और E3 के बीच कूटनीतिक समाधान निकल पाएगा, या यह विवाद एक नए तनावपूर्ण दौर की ओर बढ़ेगा।