नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताब में देश के बंटवारे से जुड़े एक चैप्टर ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इस चैप्टर में बंटवारे के तीन मुख्य कारणों के रूप में मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और माउंटबेटन को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें जिन्ना को बंटवारे की मांग करने वाला, कांग्रेस को इसे स्वीकार करने वाला और माउंटबेटन को इसे लागू करने वाला बताया गया है। इस पर कांग्रेस और एआईएमआईएम ने कड़ा विरोध जताया है, जबकि बीजेपी ने इसका समर्थन किया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इसे इतिहास का "पक्षपातपूर्ण चित्रण" करार देते हुए कहा, "इस किताब को आग लगा दीजिए। असल हकीकत यह है कि हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की साठगांठ से बंटवारा हुआ।" वहीं, बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने जवाब में कहा, "जिन्ना और राहुल गांधी की सोच एक जैसी है। धर्म के आधार पर अखंड भारत को बांटा गया। छात्रों को इतिहास की सच्चाई जानने का हक है।" एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी चैप्टर की सामग्री पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "एनसीईआरटी को शम्सुल इस्लाम की किताब 'मुस्लिम अगेंस्ट पार्टीशन' शामिल करनी चाहिए ताकि बार-बार फैलाए जा रहे झूठ को ठीक किया जा सके।" ओवैसी ने तर्क दिया कि उस समय केवल दो से तीन प्रतिशत मुस्लिमों को वोट देने का अधिकार था और 19 प्रतिशत मुस्लिम अपनी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाते थे। उन्होंने पूछा, "ऐसे में बंटवारे के लिए मुस्लिम कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं? जो भाग गए, वे चले गए, लेकिन जो वफादार थे, वे यहीं रहे।" यह विवाद एनसीईआरटी के इस मॉड्यूल को लेकर इतिहास की व्याख्या और उसके राजनीतिक निहितार्थों पर गहरे मतभेदों को उजागर करता है। कांग्रेस और विपक्ष इसे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि बीजेपी इसे ऐतिहासिक तथ्यों का खुलासा बता रही है। इस बीच, मामले ने शिक्षा और इतिहास लेखन को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
एनसीईआरटी की किताब में बंटवारे पर चैप्टर: कांग्रेस-ओवैसी का विरोध, बीजेपी का समर्थन