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Wednesday, 15 October 2025

अमेरिका द्वारा यूक्रेन को टोमाहॉक मिसाइलें देने की धमकी का क्या मतलब है?

अमेरिका द्वारा यूक्रेन को टोमाहॉक मिसाइलें देने की धमकी का क्या मतलब है?
अमेरिका द्वारा यूक्रेन को लंबी दूरी की 'टोमाहॉक' मिसाइलें देने की संभावना ने मास्को पर वाशिंगटन के दबाव का एक नया अध्याय शुरू कर दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के खिलाफ धमकी भरे बयानों के साथ, एक बार फिर दबाव, धमकी और बातचीत को मिलाने की अपनी पहचानी हुई रणनीति अपनाई है। इस रवैये से यूक्रेन संकट और वैश्विक शक्ति संतुलन भी बदल सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि वह यूक्रेन को लंबी दूरी की 'टोमाहॉक' मिसाइलें दे सकते हैं। ट्रंप की यह स्थिति रूस के साथ बातचीत का रास्ता खोलने के लिए मास्को पर अमेरिकी दबाव के एक नए चरण की शुरुआत है।

ट्रंप ने कहा, "शायद मुझे पुतिन के साथ टोमाहॉक मिसाइलों के बारे में बात करनी पड़े। क्या वे सचमुच चाहते हैं कि ये मिसाइलें उनकी तरफ आएं? मुझे ऐसा नहीं लगता।" यह बयान तुरंत बड़े मीडिया का मुख्य समाचार बन गया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बार फिर धमकी, दबाव और फिर बातचीत की मेज पर रियायतें हासिल करने की अपनी जानी-पहचानी शैली अपनाई है।

अमेरिकी वेबसाइट 'एक्सियोस' की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने हाल के दिनों में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ दो बार फोन पर बात करके देश की सैन्य जरूरतों पर चर्चा की है। ज़ेलेंस्की ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि ट्रंप के साथ उनकी बातचीत "बहुत ही रचनात्मक" रही और दोनों पक्षों ने यूक्रेन की वायु रक्षा क्षमता और लंबी दूरी की क्षमताओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया।

टोमाहॉक एक उन्नत क्रूज मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता लगभग 1,600 से 2,500 किलोमीटर है और यह लगभग 450 किलोग्राम का वारहेड (विस्फोटक सामग्री) ले जा सकती है। यह वही हथियार है जिसे अमेरिका ने इराक और सीरिया में सटीक हमलों के लिए इस्तेमाल किया था। अगर यूक्रेन के पास इस तरह की मिसाइलें आ जाती हैं, तो वह रूस की गहराई में, यहां तक कि मास्को में भी लक्ष्यों पर हमला कर सकता है। यह ऐसा परिदृश्य है जो मास्को के लिए अस्वीकार्य है और जिसे कई विश्लेषक रूस की रणनीतिक लाल रेखा पार करने वाला कदम मानते हैं।

रूस ने इस कदम की कड़ी निंदा की है और चेतावनी दी है कि इसके गंभीर परिणाम होंगे।

रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका यूक्रेन को टोमाहॉक मिसाइलें देता है तो इसका अंत "सबके लिए बुरा" होगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उड़ान के दौरान यह पहचानना लगभग असंभव है कि मिसाइल में पारंपरिक वारहेड है या परमाणु।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि यह कदम "तनाव के एक नए चरण" की शुरुआत कर सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन उन्नत मिसाइलों को दागने के लिए अमेरिकी विशेषज्ञों की सीधी भागीदारी की जरूरत होगी, जिसका मतलब यह संघर्ष में अमेरिका की प्रत्यक्ष भागीदारी होगी।

राष्ट्रपति विलादीमीर पुतिन ने भी पहले ही चेतावनी दी थी कि ऐसा कदम क्रेमलिन और वाइट हाउस के बीच संबंधों और अब तक बने सकारात्मक माहौल को नष्ट कर देगा।

रूस के सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने यह कदम उठाया, तो "इसके नकारात्मक परिणाम सभी को भुगतने होंगे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि आकाश में टोमाहॉक मिसाइल के परमाणु और गैर-परमाणु संस्करण के बीच अंतर कर पाना असंभव है, और यह बात हमले की पहचान में एक भयावह गलती का कारण बन सकती है।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भी कहा है कि इन मिसाइलों की आपूर्ति के लिए अमेरिकी विशेषज्ञों की प्रत्यक्ष भागीदारी की आवश्यकता होगी, और इसलिए, इसका मतलब होगा वाशिंगटन का सीधे युद्ध में शामिल हो जाना।

रूस की नजर में, यूक्रेन के युद्धक्षेत्र में टोमाहॉक मिसाइलों के प्रवेश का मतलब है कि अमेरिका ने अप्रत्यक्ष समर्थन की नीति को पार करके सीधे एक युद्धरत पक्ष बनने का रास्ता अपना लिया है। पुतिन ने भी पहले ही चेतावनी दी थी कि ऐसा कार्य दोनों देशों के संबंधों को "गंभीर रूप से क्षति" पहुंचाएगा और वाशिंगटन और मास्को के बीच हाल की वार्ताओं में किसी भी सकारात्मक प्रगति को समाप्त कर देगा।

हालांकि, वाशिंगटन में एक दोहरा रवैया देखने को मिल रहा है। ट्रंप यह दिखाना चाहते हैं कि वे अभी भी संकट पर नियंत्रण रखते हैं और रूस को सीधी धमकी देने की सीमा तक जाकर यूक्रेन की रक्षा के लिए तैयार हैं। लेकिन उनके सुरक्षा सलाहकारों को ऐसी कार्रवाई के अप्रत्याशित परिणामों की चिंता सता रही है। रूस और यूक्रेन के मामलों में राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि कीथ केलॉग ने कहा है कि टोमाहॉक मिसाइलों की आपूर्ति को लेकर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है और "सब कुछ राष्ट्रपति पर निर्भर करता है।"

सीएसआईएस और लंदन के चैथम हाउस जैसे थिंक टैंकों ने अपने विश्लेषणों में कहा है कि ट्रंप का लक्ष्य संभवतः सैन्य से अधिक राजनीतिक है। इस मुद्दे को उठाकर वह वार्ता का माहौल अपने पक्ष में बदलना और मास्को को रक्षात्मक स्थिति में लाना चाहते हैं। कुछ पश्चिमी विश्लेषकों के दृष्टिकोण से, ऐसी धमकी देना "जबरदस्ती की कूटनीति" की रणनीति का एक हिस्सा है - यानी बातचीत की मेज पर रियायतें हासिल करने के लिए एक खतरनाक कदम की आशंका पैदा करना।

बहरहाल, सैन्य विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि ऐसी धमकियों का बार-बार दोहराया जाना तनाव बढ़ाने वाले कारक का काम कर सकता है। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के माइकल ओ'हनलॉन कहते हैं, "जब लंबी दूरी की मिसाइलों की बात आती है, तो उनकी आपूर्ति की संभावना पर चर्चा करना भी विपरीत पक्ष द्वारा शत्रुतापूर्ण कार्य के रूप में लिया जा सकता है। ऐसी स्थिति में, गलत गणना करने में सिर्फ कुछ मिनटों का समय लग सकता है।

यूरोप में भी प्रतिक्रियाएं सतर्क हैं। ब्रसेल्स में राजनयिक सूत्रों ने कहा है कि यूरोपीय संघ ऐसे किसी भी फैसले के परिणामों को लेकर बेहद चिंतित है, क्योंकि यूक्रेन की भूमि से रूस के अंदरूनी इलाकों में किया गया कोई भी हमला नाटो को सीधे संघर्ष में खींच सकता है। फ्रांस और जर्मनी के अधिकारी चाहते हैं कि वाशिंगटन किसी भी सैन्य कार्रवाई से पहले राजनीतिक समाधान की ओर लौटे।

कीव का नजरिया अलग है। ज़ेलेंस्की का मानना है कि भले ही यूक्रेन कभी भी टोमाहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल न करे, लेकिन सिर्फ उनके पास मौजूद होने भर से पुतिन हमले रोकने या वास्तविक वार्ता शुरू करने के लिए मजबूर हो सकते हैं। वास्तव में, उनकी नजर में, टोमाहॉक युद्ध का नहीं, बल्कि एक राजनीतिक दबाव का हथियार है।

असल सवाल यह है कि क्या टोमाहॉक वास्तव में युद्ध का समीकरण बदल सकते हैं? रॉयटर्स के साथ बातचीत में सैन्य विशेषज्ञों ने कहा है कि हालांकि इन मिसाइलों की सटीकता और विनाशकारी क्षमता अधिक है, लेकिन यूक्रेन में उनकी तैनाती रसद और सुरक्षा की चुनौतियों से घिरी है, और रूस के पास निश्चित रूप से उनके लॉन्च पैड की पहचान करने और नष्ट करने की क्षमता है।

टोमाहॉक के बारे में फैसला एक सैन्य विकल्प से कहीं आगे की बात है। यह फैसला यूक्रेन संकट की दिशा तय कर सकता है और यहाँ तक कि वैश्विक सत्ता के संतुलन को भी बदल सकता है। अगर वाशिंगटन वास्तव में ये हथियार भेजना चाहता है, तो उसे मास्को की प्रतिक्रिया के लिए भी तैयार रहना होगा। अगर केवल रूस को बातचीत की मेज पर वापस लाने के लिए धमकी का इस्तेमाल करना ही लक्ष्य है, तो यह सावधानी बरतनी होगी कि यह धमकी नियंत्रण से बाहर न हो जाए। ऐसी दुनिया में जहाँ कूटनीतिक दबाव और युद्ध की एस्केलेशन के बीच की रेखा बहुत पतली है, टोमाहॉक एक व्यापक युद्ध की चिंगारी साबित हो सकता है। (AK)