दोस्तो जैसाकि आपको ज्ञात है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका और मिस्र की यात्रा समाप्त हो गयी है और अब वह स्वदेश भी पहुंच गये हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस समय अमेरिका में थे दोनों देशों के मध्य कई बातों पर सहमति बनी जिसमें एक यह है कि दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में भी एक दूसरे से सहयोग करेंगे और अमेरिका भारत को आधुनिकतम तकनीक देगा।
अमेरिका और भारत के मध्य होने वाली सहमति पर पड़ोसी देश पाकिस्तान ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि भारत और अमेरिका के मध्य होने वाला सैन्य सहयोग दक्षिण एशिया की शांति व सुरक्षा के लिए हानिकारक सिद्ध होगा। जो चीज़ पाकिस्तान के अधिक क्रोध का कारण बनी है वह यह है कि भारत और अमेरिका दोनों देशों ने पाकिस्तान को आतंकवाद से मुकाबले की सिफारिश की है।
भारत के अनुसार पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद और आतंकवादियों का समर्थन करता है। इस आधार पर पाकिस्तान के विदेशमंत्रालय ने भारत और अमेरिका की ओर से जारी होने वाली संयुक्त विज्ञप्ति की आलोचना की है विशेषकर इसलिए कि इस विज्ञप्ति में पाकिस्तान से आतंकवादियों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही करने का आह्वान किया गया है जबकि पाकिस्तान सरकार का मानना है कि यह भारत है जो भारतीय उपमहाद्वीप विशेषकर कश्मीर में सुरक्षा संकट उत्पन्न किये हुए है।
राजनीतिक मामलों के टीकाकार ज़ाकिर अब्बास इस बारे में कहते हैं कि भारत हमेशा अमेरिका को विश्वास में लेकर क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर दबाव डालने के प्रयास में रहता है। टीकाकार ज़ाकिर अब्बास के अनुसार यह एसी स्थिति में है जब अमेरिका भारत के गैर सिद्धांतिक दृष्टिकोण का समर्थन करके स्वयं भारतीय उपमहाद्वीप में संकटों को हवा देता है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि कश्मीर के मामले में यह अमेरिका की ओर से भारत की खुली तरफदारी है और इसके गम्भीर परिणाम हो सकते हैं।
वास्तविकता यह है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल में वाशिंग्टन भारत और पाकिस्तान के संबंधों के बीच संतुलन का ध्यान रखता था परंतु ओबामा के बाद डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ताकाल से अमेरिका का दृष्टिकोण शत्रुतापूर्ण हो गया और ट्रम्प ने खुल्लम- खुल्ला पाकिस्तान पर आतंकवाद के समर्थन का आरोप लगाया और एक प्रकार से भारतीय दृष्टिकोण का समर्थन किया और इस प्रकार अमेरिका ने पाकिस्तान के सबसे बड़े व पारम्परिक प्रतिस्पर्धी भारत को बड़ी विशिष्टता दी।
इसके बाद से अमेरिका की क्षेत्रीय नीति में भारत अपने आपको बेहतर स्थिति में देख रहा है और पाकिस्तान को अलग- थलग करने के लिए हर अवसर से लाभ उठाता है। अमेरिका और जायोनी शासन के साथ भारत के सैन्य सहयोग को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जा सकता है।
एक अन्य राजनीतिक टीकाकार सैयद अब्बास मूसवी इस बारे में कहते हैं कि अमेरिका पाकिस्तान और चीन के मुकाबले में भारत की सैनिक पोज़ीशन मज़बूत करके व्यवहारिक रूप से दक्षिण एशिया में प्रतिस्पर्धा और हथियारों की होड़ को हवा दे रहा है। MM