एक ज़ायोनी विश्लेषक का कहना है कि मकबूज़ा क्षेत्रों में हर घर में एक ज़ायोनी सैनिक है। उनका कहना था: सभी "इज़राइली" वास्तव में इज़राइली शासन के सैनिक हैं।
ज़ायोनी समाचार पत्र "हारेत्ज़" में एक लेख में, ज़ायोनी विश्लेषक "बी. मिखाइल" ने स्वीकार किया कि सभी ज़ायोनी दर हक़ीक़त ज़ायोनी शासन के सैनिक हैं। वह लिखते हैं: "दुनिया में ऐसी सरकार ढूंढना मुश्किल है जहां के सभी लोग सैनिक हों ।"
प्रत्येक इस्राएली युद्ध, लूटपाट और दुष्टता में सम्मिलित है। पार्सटुडे के अनुसार, इस ज़ायोनी विश्लेषक ने कहा: इज़राइल (कब्जे वाले फ़िलिस्तीन) में स्थिति पूरी तरह से अलग है और हर घर में कम से कम एक सैनिक है जो हमेशा आदेशों की प्रतीक्षा कर रहा है।
ज़ायोनी अधिकारियों के झूठ का ज़िक्र करते हुए "बी. मिखाइल" ने लिखा: "मीडिया सुबह और रात रट रहा है कि सभी फ़िलिस्तीनी युद्ध में शामिल हैं।"
इस साज़िश का मक़सद, फिलिस्तीनियों की लगातार हत्या को उचित ठहराना है। ग़ज़ा में अब तक लगभग 50 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
इसके अलावा, ग़ज़ा में सभी स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और सामाजिक सेवा केंद्र पूरी तरह से नष्ट कर दिए गए हैं।
इस ज़ायोनी विश्लेषक ने स्वीकार किया: वर्तमान समय में टारगेटेड विनाश चल रहा है और बुनियादी ढांचे के विनाश के साथ ही इसका मक़सद ग़ज़ा में इज़राइलियों के लिए बस्तियां बनाना है।
बी. मिखाइल ने कहा: ऐसा कहा जाता है कि ग़ज़ा के सभी निवासियों को निशाना बनाया जाना चाहिए, यह घृणित और पाखंडी है और फिलिस्तीनियों को आतंकवादी बताने का हम औचित्य पेश नहीं कर सकते।
आख़िर में, इस ज़ायोनी विश्लेषक ने कहा: हमने उनमें से हज़ारों को मार डाला और उनके जीवन के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया, लेकिन हम हमेशा भय और आतंक में जीते रहेंगे।
ग़ज़ा पट्टी में इज़राइली शासन के अपराध लगातार सोलहवें महीने भी जारी हैं, जबकि अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने ज़ायोनी शासन के वर्तमान प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू और पूर्व युद्धमंत्री यूआव गैलेंट को युद्ध अपराधों, मानवता के ख़िलाफ जुर्म करने और भुखमरी का प्रयोग करने (ग़ज़ा की जनता को भुखमरी में डालने) को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने जैसे आरोपों में गिरफ्तार करने का आदेश दिया है।
इस बीच, फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को एलान किया कि 7 अक्टूबर, 2023 से ग़ज़ा में शहीदों की संख्या 46 हज़ार से अधिक हो गयी है। (AK)