Breaking

यमन ने सऊदी अरब के सामने रखी अजीब शर्त, यमनियों की जाल में फंसा रियाज़...

Sunday, 5 January 2025

सीरिया: अहमद अल-शरा के विद्रोही गुट का अपने जिहादी अतीत से नाता तोड़ने का दावा कितना सच?

सीरिया: अहमद अल-शरा के विद्रोही गुट का अपने जिहादी अतीत से नाता तोड़ने का दावा कितना सच?
हयात हतरीर अल-शाम के प्रमुख अहमद अल-शरा ने अभी तक अपने संदेश में सीरिया के विविधतापूर्ण समाज के अंदर सह-अस्तित्व पर ध्यान केंद्रित किया है.

पिछले हफ़्ते सीरिया के नए नेता अहमद अल-शरा जिन्हें पहले अबू मोहम्मद अल-जूलानी के नाम से जाना जाता था, दमिश्क का दौरा कर रहे थे.

सीरिया के वर्तमान शासकों को संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन की ओर से एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है. लेकिन अब उसे आतंकवादी ग्रुप से बाहर कर दिया हे अमरीका ने दस बिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया था।

एक ओर विविध और कई बार तुलनात्मक रूप से लिबरल सीरियाई आबादी है और इसके साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय है, जिसकी स्वीकार्यता हैयत (हयात) तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के अस्तित्व और क़ानूनी हैसियत के लिए बहुत अहम है.

इस घटना ने एचटीएस के प्रभाव वाले सीरिया के भविष्य की एक परेशान करने वाली झलक पेश की है, जिससे यह आशंकाएं जन्म ले रही हैं कि क्या रूढ़िवादी सोच का नतीजा सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य पर्दे के रूप में सामने आ सकता है?

दूसरी और कुछ कट्टरवादी लोगों को अहमद अल-शरा के एक 'बेपर्दा महिला' के साथ तस्वीर खिंचवाने पर आपत्ति है और उनका कहना है कि उनका यह क़दम धार्मिक नीतियों का उल्लंघन है.

ऐसे कट्टर तत्व, लड़ाकू समूहों पर अच्छा खासा असर रखते हैं और अल-शरा के अपने समूह के अंदर विरोध को हवा दे सकते हैं.
अहमद अल-शरा को पहले अबू मोहम्मद अल-जूलानी के नाम से जाना जाता था अब नाम के साथ साथ पहचान भी बदलली 

एचटीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सीरिया की उदारवादी आबादी और कट्टरपंथी तत्वों की परस्पर विरोधी मांगों में संतुलन बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होगी. दोनों पक्ष एचटीएस के हर क़दम को ध्यान से देख रहे हैं.

हयात तहरीर अल-शाम नाम के इस समूह के लिए अपने राजनीतिक संकल्पों को पूरा करना इस बात पर निर्भर करेगा कि वह समाज के विभिन्न वर्गों की परस्पर विरोधी उम्मीदों में कैसे संतुलन बनाते हैं, जो उनके लिए बेहद अहम है.

हालांकि 'सुन्नी अरब' सीरिया में अधिक संख्या वाले नस्ली और धार्मिक समूह हैं, लेकिन यह देश स्पष्ट रूप से विविधता से भरा हुआ है जिसमें विभिन्न अल्पसंख्यक समूह शामिल हैं. इन अल्पसंख्यक समूहों में अलवी, कुर्द, ईसाई, द्रूज़, तुर्कमान और इस्माईली शामिल है. इसके अलावा वहां दूसरे छोटे समूह भी हैं.

अगर हयात तहरीर अल-शाम का नेतृत्व सच में अपनी कोशिशों में साफ़ दिल भी है तो सीरिया में मौजूद कट्टरवादी मुसलमान और जिहादी समूहों के लिए किसी भी ऐसी व्यवस्था को स्वीकार करना संभव नहीं होगा जो कट्टर इस्लामी नीतियों पर स्थापित न हो.

अगर एचटीएस कट्टरवादी इस्लामी व्यवस्था के रास्ते से हटता है तो यह गिरोह संभावित तौर पर सशस्त्र विरोध पर उतर आएंगे ताकि अपने दृष्टिकोण को लागू कर सकें.
लेकिन एचटीएस के लिए यह ऐक नई चुनौती है.
इस्लामिक स्टेट से अल-क़ायदा और अब एचटीएस

सीरिया में एचटीएस साल 2016 तक एक स्वतंत्र समूह बन गया था.

एक दशक से यह समूह ख़ुद में बदलाव ला रहा है. ये पहले अल-नुसरा फ़्रंट के नाम से जाना जाता था और इसकी जड़ें अंतरराष्ट्रीय जिहादी आंदोलन में हैं.

एचटीएस ने साल 2011 और 2012 के दौरान बेहद कट्टरवादी इस्लामी स्टेट के एक ख़ुफ़िया धड़े के तौर पर शुरुआत की. फिर अगले साल यह अल-क़ायदा से जुड़ गया और साल 2016 तक एक स्वतंत्र समूह बन गया.

एक तरफ़ जब उसके पूर्व जिहादी साझेदार अल-क़ायदा और इस्लामिक स्टेट सीरिया में अमेरिकी गठबंधन के ताबड़तोड़ हमले का निशाना बने और जिसमें अक्सर उनके नेता मारे गए,
हालांकि उस समय उनके सर पर अमेरिका की ओर से एक अरब डॉलर का इनाम रखा गया था, जिसे अब हटा दिया गया है,
इदलिब में एचटीएस के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुआ था.
हयात तहरीर अल-शाम ने इदलिब में अपनी पकड़ को मज़बूत करने के लिए दोहरी रणनीति अपनाई.

स्थानीय आबादी का दिलो-दिमाग़ जीतने के लिए क्षेत्र में किसी हद तक स्थिरता लाई और अपने प्रतिद्वंद्वियों, यहां तक कि पूर्व साझेदारों को कुचलने या अपने साथ मिलाने के लिए ताक़त का इस्तेमाल किया.

इस समूह ने जिहादी दृष्टिकोण, धर्म के लिए युद्ध और सीरिया में इस्लामी शासन (शरीयत) की स्थापना की ख़ास बयानबाज़ी से ख़ुद को दूर कर लिया जो एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय योजना का हिस्सा था.

इसके बदले उन्होंने एक अधिक क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी नैरेटिव अपनाया जिसमें सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद को गद्दी से हटाने और सीरिया को 'आज़ाद' करने के इकलौते मक़सद पर ध्यान केंद्रित किया गया.

लेकिन, इदलिब में एचटीएस को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और उसके लिए वहां शासन चलाना आसान नहीं था.

27 नवंबर को एचटीएस के नेतृत्व में होने वाले विद्रोही हमले से पहले इस समूह को प्रदर्शनों का सामना करना पड़ा था जो ख़ास तौर पर अल-शरा के ख़िलाफ़ आयोजित होते थे.

प्रदर्शनकारियों ने एचटीएस पर असहमतियों को कुचलने के आरोप लगाए थे जिनमें विरोधियों और आलोचकों को जबरी तौर पर ग़ायब करने और उन्हें क़ैद करने की शिकायत भी शामिल थी.

इस समूह पर विदेशी ताक़तों के साथ साठगांठ करने के लिए भी आलोचना का सामना करना पड़ा था.

एचटीएस साल 2023 में एक बड़े घोटाले में फंस गया, जिसमें उसके शीर्ष नेतृत्व के अंदर जासूसों का राज़ उजागर हुआ और कट्टरवादी तत्वों ने इस पर आरोप लगाया कि उसने बेनाम विदेशी समर्थकों को ख़ुश करने के लिए सीरियाई सेना के ख़िलाफ़ युद्ध से जानबूझकर पिंड छुड़ाया है.