पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव बहिष्कार की संभावना जताकर सियासी हलचल मचा दी है। गुरुवार को बिहार विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में तेजस्वी ने कहा, "जब सब कुछ तय हो गया है कि खुलेआम बेईमानी करनी है, वोटर लिस्ट से लाखों लोगों के नाम काटने हैं, तो हम चुनाव बहिष्कार पर विचार कर सकते हैं।" उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर जनता वोट ही नहीं दे पाएगी, तो चुनाव का मतलब क्या रह जाता है।
तेजस्वी ने महागठबंधन के तहत सभी सहयोगी दलों से इस मुद्दे पर चर्चा करने की बात कही और जनता की राय को प्राथमिकता देने का संकेत दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के नाम पर चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर वोटर लिस्ट में हेरफेर कर रहा है, जिससे गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के वोटरों को निशाना बनाया जा रहा है।
विपक्ष का आरोप: वोटर लिस्ट में धांधली
विपक्ष का दावा है कि SIR की आड़ में चुनाव आयोग "बैकडोर NRC" लागू कर रहा है, जिससे गरीब और कमजोर वर्गों के वोटिंग अधिकार छीने जा रहे हैं। तेजस्वी ने कहा, "पहले वोटर सरकार चुनते थे, अब सरकार वोटर चुन रही है।" बिहार में 28 जून 2025 से शुरू इस प्रक्रिया पर विपक्ष ने सड़क से लेकर सदन तक विरोध दर्ज किया है। पटना, पूर्णिया, और अन्य शहरों में महागठबंधन कार्यकर्ताओं ने चक्काजाम और रेल रोकने जैसे आंदोलन किए।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया कि वोटर लिस्ट से नाम हटने का मतलब नागरिकता समाप्त होना नहीं है। आयोग ने दावा किया कि 98% मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया में कवर हो चुके हैं। हालांकि, विपक्ष ने आयोग के आंकड़ों को "गलत" बताते हुए पारदर्शिता की मांग की है।
केंद्र और भाजपा की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह ने तेजस्वी के बयान पर तंज कसते हुए कहा, "यह उनकी हार की स्वीकारोक्ति है। जब जालसाजी पकड़ी गई, तो वे चुनाव से भाग रहे हैं।" भाजपा नेता नीरज कुमार ने इसे लोकतंत्र का अपमान बताया और कहा कि तेजस्वी हार के डर से बहाने बना रहे हैं।
महागठबंधन में एकजुटता की चुनौती
तेजस्वी के बयान पर कांग्रेस ने सधी प्रतिक्रिया दी। बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा, "सभी विकल्प खुले हैं, इंडिया गठबंधन मिलकर फैसला लेगा।" हालांकि, कुछ कांग्रेस सूत्रों ने इसे चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की रणनीति बताया, न कि वास्तविक बहिष्कार की मंशा। विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन में एकजुटता की कमी इस रणनीति को प्रतीकात्मक बना सकती है।
क्या है SIR विवाद?
बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले SIR प्रक्रिया ने विवाद को जन्म दिया है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में जानबूझकर गरीब और अल्पसंख्यक वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को आधार और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज स्वीकार करने का सुझाव दिया, लेकिन आयोग अपने रुख पर कायम है।
आगे क्या?
तेजस्वी के बयान ने बिहार की सियासत को नया मोड़ दे दिया है। महागठबंधन की शनिवार को होने वाली बैठक में साझा घोषणा-पत्र और इस मुद्दे पर चर्चा होगी। अगर विपक्ष बहिष्कार की राह चुनता है, तो यह भारतीय राजनीति में अभूतपूर्व कदम होगा, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे चुनाव प्रक्रिया रुकना असंभव है।