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Thursday, 24 July 2025

डेविड कॉरिडोर: इज़राइल की खतरनाक योजना, सीरिया और पश्चिम एशिया के ऊर्जा संसाधनों पर कब्जे की साजिश

डेविड कॉरिडोर: इज़राइल की खतरनाक योजना, सीरिया और पश्चिम एशिया के ऊर्जा संसाधनों पर कब्जे की साजिश
इज़राइल की "डेविड कॉरिडोर" योजना ने पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी है। यह योजना केवल एक भौगोलिक मार्ग नहीं, बल्कि सीरिया और इराक को विभाजित करने, ऊर्जा और जल संसाधनों पर नियंत्रण करने और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को बदलने की महत्वाकांक्षी रणनीति है। पार्सटुडे के अनुसार, यह योजना अमेरिका के समन्वय में कार्यान्वित हो रही है और इसका लक्ष्य इज़राइल को ईरान और तुर्की जैसे प्रतिद्वंद्वियों तक रणनीतिक पहुंच प्रदान करना है।

योजना का स्वरूप और उद्देश्य


 "डेविड कॉरिडोर" दक्षिणी सीरिया के कुनैतरा और स्वेइदा प्रांतों से शुरू होकर, उत्तर-पूर्वी सीरिया में अमेरिका समर्थित सीरियाई डेमोक्रेटिक फोर्सेज (एसडीएफ) द्वारा नियंत्रित कुर्द क्षेत्रों तक फैलता है। यह मार्ग इराकी कुर्दिस्तान और ईरान व तुर्की की सीमाओं तक पहुंच सकता है। इसका उद्देश्य यूफ्रेट्स नदी और क्षेत्र के समृद्ध तेल व जल संसाधनों पर इज़राइल का नियंत्रण स्थापित करना है। यह योजना कुर्द और दुरूज़ अलगाववादी समूहों के साथ रणनीतिक गठजोड़ को भी बढ़ावा देती है, जिसे विश्लेषक "ग्रेटर इज़राइल" के तल्मूदिक सपने से जोड़ते हैं, जिसमें नील से यूफ्रेट्स तक विस्तार का दावा है।
           सीरिया का विभाजन और क्षेत्रीय प्रभाव

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस योजना के तहत सीरिया को चार हिस्सों में बांटा जा सकता है: दक्षिण में एक दुरूज़ राज्य, पश्चिम में अलावी बहुल क्षेत्र, केंद्र में सुन्नी अरब राज्य और उत्तर में कुर्द स्वायत्त क्षेत्र। अरब पत्रकार मोहम्मद खरूब ने खुलासा किया कि यह योजना दमिश्क में एक कमजोर केंद्रीय सरकार छोड़कर क्षेत्र पर इज़राइल और अमेरिका का प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश है। बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद, इज़राइल ने कुनैतरा और स्वेइदा पर कब्जा कर लिया, जिसे इस गलियारे का हिस्सा माना जा रहा है।

अमेरिका की भूमिका और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिका तनफ क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति और एसडीएफ को समर्थन के जरिए इस योजना को पूरक भूमिका निभा रहा है। तुर्की ने इस योजना को अपनी क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा बताया, क्योंकि यह उत्तरी सीरिया में उसके प्रभाव को कमजोर करता है। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने सीरिया के विभाजन का कड़ा विरोध किया है, जबकि ईरान और रूस ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन माना है। हाल के इज़राइली हमलों, विशेष रूप से दमिश्क में रक्षा मंत्रालय और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों पर हुए हमलों ने इन आशंकाओं को और गहरा किया है।

वैचारिक और भू-रणनीतिक महत्व


विश्लेषकों का मानना है कि "डेविड कॉरिडोर" न केवल भू-रणनीतिक, बल्कि वैचारिक महत्व भी रखता है। हिब्रू स्रोत इसे तल्मूदिक वादे की पूर्ति मानते हैं, जो इज़राइल की सीमाओं को यूफ्रेट्स तक विस्तारित करने की बात करता है। यह योजना प्रतिरोध की धुरी (ईरान, सीरिया, हिजबुल्लाह) को कमजोर करने और पश्चिम एशिया में इज़राइल-अमेरिका के प्रभुत्व को स्थापित करने की कोशिश है। 

 "डेविड कॉरिडोर" योजना पश्चिम एशिया में सत्ता और संसाधनों को नियंत्रित करने की एक खतरनाक रणनीति है, जो सीरिया के नक्शे और क्षेत्रीय राजनीति को बदल सकती है। तुर्की, ईरान और रूस जैसे देशों की कड़ी प्रतिक्रिया और क्षेत्र की जागरूकता इस योजना को चुनौती दे रही है। यदि यह योजना लागू हुई, तो यह पश्चिम एशिया में नए संघर्षों को जन्म दे सकती है, जिसका असर वैश्विक भू-राजनीति पर भी पड़ सकता है।