बेंगलुरु की विशेष अदालत ने जनता दल (सेक्युलर) के निलंबित पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला हसन जिले के होलेनरसीपुरा में रेवन्ना परिवार के फार्महाउस में काम करने वाली 48 वर्षीय घरेलू सहायिका के साथ दुष्कर्म से संबंधित है।
विशेष अदालत ने 1 अगस्त, 2025 को प्रज्वल रेवन्ना को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2)(k) (पद का दुरुपयोग कर दुष्कर्म), धारा 376(2)(n) (एक ही महिला के साथ बार-बार दुष्कर्म), धारा 354(A), 354(B), 354(C) (यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़), धारा 506 (आपराधिक धमकी), धारा 201 (सबूत मिटाने) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2008 की धारा 66(E) (निजता का उल्लंघन) के तहत दोषी ठहराया था। सजा की मात्रा 2 अगस्त, 2025 को घोषित की गई।
मामला तब सामने आया जब अप्रैल 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले हसन में प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े कथित अश्लील वीडियो पेन ड्राइव के माध्यम से प्रसारित हुए। पीड़िता ने 2 मई, 2024 को अपनी शिकायत दर्ज की थी, जिसमें उसने आरोप लगाया कि प्रज्वल ने 2021 में दो बार उसका यौन शोषण किया और इसका वीडियो रिकॉर्ड किया। विशेष जांच दल (SIT) ने 1632 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 113 गवाहों के बयान और डीएनए साक्ष्य शामिल थे। पीड़िता द्वारा संरक्षित साड़ी पर मिले बाल और शारीरिक द्रव के नमूने प्रज्वल के डीएनए से मेल खाते पाए गए।
प्रज्वल रेवन्ना, जो पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पौत्र और पूर्व मंत्री एच.डी. रेवन्ना के पुत्र हैं, ने वीडियो को फर्जी बताया था और दावा किया था कि यह उनकी छवि खराब करने की साजिश है। हालांकि, अदालत ने डिजिटल साक्ष्य और पीड़िता के बयान को निर्णायक माना। सजा की घोषणा के दौरान प्रज्वल अदालत में भावुक हो गए और उन्होंने कम सजा की अपील की, यह कहते हुए कि उनकी एकमात्र गलती "राजनीति में तेजी से उभरना" थी।
प्रज्वल के खिलाफ चार यौन शोषण और दुष्कर्म के मामले दर्ज हैं, जिनमें से यह पहला मामला है जिसमें सजा सुनाई गई है। अन्य मामलों में जांच और सुनवाई जारी है। जेडी(एस) ने 2024 में प्रज्वल को पार्टी से निलंबित कर दिया था। यह मामला कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचा चुका है, और विपक्षी नेताओं ने जेडी(एस)-बीजेपी गठबंधन पर सवाल उठाए हैं।
अदालत के इस फैसले को कानून की समानता और यौन अपराधों के खिलाफ सख्त रुख के रूप में देखा जा रहा है। प्रज्वल के वकील उच्च न्यायालय में अपील दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।