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Tuesday, 19 August 2025

2024 लोकसभा चुनाव: परकला प्रभाकर का सनसनीखेज खुलासा - 79 सीटों पर रिगिंग ने बदला नतीजा

2024 लोकसभा चुनाव: परकला प्रभाकर का सनसनीखेज खुलासा - 79 सीटों पर रिगिंग ने बदला नतीजा
    वीतमंत्री निर्मला सीतारमण परकला प्रभाकर 

अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर का दावा- 2024 का लोकसभा चुनाव फ्रॉड, 79 सीटों पर रिगिंग से बदला नतीजा 2024 के लोकसभा चुनाव में धांधली के गंभीर आरोप सामने आए हैं। प्रख्यात अर्थशास्त्री परकला प्रभाकर ने दावा किया है कि 79 सीटों पर रिगिंग के कारण भाजपा और उसके सहयोगी दलों को जीत हासिल हुई। उनके अनुसार, यदि रिगिंग नहीं होती, तो इंडिया गठबंधन 316 सीटों के साथ सरकार बनाता, जबकि एनडीए 220 से कम सीटों के साथ विपक्ष में होता। 

परकला प्रभाकर कौन हैं?

आंध्र प्रदेश के निवासी परकला प्रभाकर ने जेएनयू से अर्थशास्त्र में शिक्षा प्राप्त की और लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स से पीएचडी की। वे वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति के रूप में भी जाने जाते हैं। 

आरोपों का आधार

प्रभाकर का दावा मतदान और गिनती के आंकड़ों में असमानताओं पर आधारित है। उनके विश्लेषण के अनुसार: - चुनाव आयोग द्वारा शाम 5 बजे, रात 11 बजे, और 4-5 दिन (प्रथम चरण में 11 दिन) बाद जारी आंकड़ों में 4-12% की वृद्धि देखी गई। - यह वृद्धि करीब 5 करोड़ वोटों की रही, विशेष रूप से उन सीटों पर जहां कांटे की टक्कर थी। - भाजपा को कुल 23 करोड़ वोट मिले, लेकिन वोटों की बढ़ोतरी संदिग्ध रूप से निर्णायक सीटों पर ज्यादा थी। 

मतदान आंकड़ों में गड़बड़ी

प्रभाकर ने बताया कि पहले के चुनावों में 5 बजे के आंकड़े लगभग अंतिम होते थे। मतदान केंद्र बंद होने के बाद, केवल लाइन में मौजूद मतदाताओं को वोट डालने की अनुमति थी, और रात 10-12 बजे तक अंतिम आंकड़े जारी हो जाते थे। तब आंकड़ों में 0.5% से अधिक का अंतर नहीं होता था। लेकिन हाल के वर्षों में, खासकर 2024 में, अंतिम आंकड़े 6-10% तक बढ़ गए, जो असामान्य है। 

फॉर्म 17 और पारदर्शिता की कमी 

फॉर्म 17, जिसमें मतदान केंद्रों के अंतिम आंकड़े दर्ज होते हैं, पहले सभी उम्मीदवारों और दलों को उपलब्ध कराया जाता था। लेकिन अब चुनाव आयोग समेकित डेटा देने से इनकार करता है। प्रभाकर के अनुसार, उनके अपनी लोकसभा के उम्मीदवार को भी यह डेटा नहीं मिला। 

आधुनिक तकनीक का अभाव

प्रभाकर का कहना है कि एक साधारण ऐप से फॉर्म 17 के डेटा को रियल-टाइम में अपलोड किया जा सकता है। लेकिन चुनाव आयोग हफ्तों तक डेटा दबाए रखता है, जिससे संदेह गहराता है। *

79 सीटों पर निर्णायक अंतर

प्रभाकर का दावा है कि 79 सीटों पर वोटों का अंतर 10,000-50,000 के बीच था, और यही अंतर नतीजों को प्रभावित करने वाला साबित हुआ। 

चुनाव आयोग की चुप्पी

चुनाव आयोग डेटा साझा करने, सर्चेबल वोटर रोल देने, वीवीपैट पर्चियों की जांच, या ईवीएम की सार्वजनिक जांच से इनकार करता है। शिकायतों का जवाब देने में भी आयोग उदासीनता दिखाता है, जिसके लिए कार्यकर्ताओं और वकीलों को बार-बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। 

संस्थानों पर सवाल

पिछले एक दशक में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), चुनाव आयोग (ईसी), और अन्य संस्थानों की कार्यशैली और नियुक्तियों पर सवाल उठे हैं। प्रभाकर का कहना है कि इन संस्थानों को "प्रदूषित" किया गया है, और छोटे लोग ऊंचे पदों पर बैठकर उनकी मर्यादा को तार-तार कर रहे हैं। 

जनता और सच की ताकत 

प्रभाकर के अनुसार, संस्थान और कुछ लोग भले ही मैनेज हो जाएं, लेकिन जनता को नियंत्रित नहीं किया जा सकता। वे अपनी पत्नी, पार्टी, और अन्य दबावों से ऊपर उठकर सच बोल रहे हैं। उनके इस साहस के लिए देश उनका आभारी रहेगा। 

2024 के लोकसभा चुनाव में धांधली के आरोपों ने भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। परकला प्रभाकर का विश्लेषण और उनके साहसी बयान इस मुद्दे को और गहराई से जांचने की मांग करते हैं।