नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर शर्मसार हुई है। नरेला में एक निजी स्विमिंग पूल में दो नाबालिग बच्चियों (9 वर्ष) के साथ गैंगरेप की दिल दहलाने वाली घटना ने देश को झकझोर दिया है। यह घटना 7 अगस्त 2025 को हुई, जब दो बच्चियां स्विमिंग सीखने गई थीं। आरोपियों, अनिल कुमार (37) और मुनील कुमार (24), ने बच्चियों को बंधक बनाकर उनके साथ दुष्कर्म किया और धमकी दी कि अगर उन्होंने किसी को बताया तो उनकी जान ले लेंगे। पीड़िताओं की शिकायत पर पुलिस ने 9 अगस्त को FIR दर्ज की और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
इस घटना ने दिल्ली में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट रहा है, जो यह पूछ रहे हैं कि जब दिल्ली में बीजेपी की "ट्रिपल इंजन सरकार" है—केंद्र, पुलिस, और एमसीडी—तब भी बेटियां सुरक्षित क्यों नहीं हैं? आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं, जैसे अरविंद केजरीवाल और आतिशी, ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली की कानून-व्यवस्था अमित शाह की जिम्मेदारी है, लेकिन वे चुनावों में व्यस्त हैं। दिल्ली गैंगस्टरों के हवाले है।"
विपक्ष का आरोप है कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। AAP नेता मनीष सिसोदिया ने तिलक नगर में एक सात साल की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना का हवाला देते हुए कहा, "अपराधी बेखौफ हैं क्योंकि गृह मंत्रालय को दिल्ली की सुरक्षा से कोई सरोकार नहीं।" दूसरी ओर, बीजेपी ने इन आरोपों को राजनीतिक बताकर खारिज किया है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि ऐसी घटनाओं को केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा बनाना गलत है और सामाजिक जागरूकता की जरूरत है।
हैरानी की बात यह है कि इस जघन्य अपराध पर मुख्यधारा के मीडिया की चुप्पी ने लोगों का गुस्सा और बढ़ा दिया है। सोशल मीडिया पर लोग इसे "गोदी मीडिया" की नाकामी बता रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "जब दूसरे राज्यों में ऐसी घटनाएं होती हैं, तो मीडिया सरकार को कटघरे में खड़ा करता है, लेकिन दिल्ली में, जहां पुलिस गृह मंत्रालय के अधीन है, कोई सवाल नहीं उठता।" दिल्ली में बढ़ते अपराध, खासकर महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ, ने यह सवाल उठाया है कि क्या राजधानी वाकई सुरक्षित है? लोग मांग कर रहे हैं कि गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस तत्काल कठोर कदम उठाए ताकि बेटियां बिना डर के जी सकें। इस घटना ने न केवल कानून-व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि समाज को जागरूक करने और अपराधियों में कानून का डर पैदा करने की सख्त जरूरत है।