ग़ज़ा में अल जज़ीरा के पांच पत्रकारों सहित छह पत्रकारों की मौत पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के बयान के बाद भारत में इसराइली राजदूत रूवेन अज़ार की प्रतिक्रिया ने विवाद खड़ा कर दिया है। इसराइली राजदूत के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कड़ा ऐतराज जताते हुए उनकी भाषा और लहजे को अस्वीकार्य बताया। प्रियंका गांधी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "अल जज़ीरा के पाँच पत्रकारों की निर्मम हत्या फ़लस्तीन की ज़मीन पर किया गया एक और घिनौना अपराध है। सत्य के लिए खड़े होने वालों का साहस इसराइली हिंसा और नफ़रत से कभी नहीं टूटेगा।" इसके जवाब में इसराइली राजदूत रूवेन अज़ार ने एक्स पर लिखा, "शर्मनाक तो आपका धोखा है। इसराइल ने हमास के 25 हज़ार आतंकवादियों को मारा है। ग़ज़ा में 20 लाख टन खाद्य सामग्री पहुंचाई गई, लेकिन हमास ने इसे जब्त करने की कोशिश की, जिससे भुखमरी की स्थिति बनी।" उन्होंने आगे दावा किया, "पिछले 50 सालों में ग़ज़ा की आबादी 450 फ़ीसदी बढ़ी है। यहां कोई नरसंहार नहीं हुआ। हमास के आँकड़ों पर भरोसा न करें।" इस बयान पर पलटवार करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने एक्स पर लिखा, "मिस्टर एम्बेसडर, आपको भारत के एक सांसद को जवाब देते समय अपनी भाषा और लहजे का ध्यान रखना चाहिए। यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।" उन्होंने भारत की फ़लस्तीन नीति का हवाला देते हुए कहा, "भारत 1988 में फ़लस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और 1974 में फ़लस्तीनी लोगों के एकमात्र वैध प्रतिनिधि के रूप में पीएलओ को मान्यता देने वाला पहला देश था। सभी भारतीय सरकारों ने इस नीति का पालन किया है।" श्रीनेत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, "कृपया हमें भाषण न दें और यह उम्मीद न करें कि हम नरसंहार और बच्चों को भूखा रखे जाने पर आंखें मूंद लेंगे। शर्म आपको आनी चाहिए।" यह विवाद रविवार को ग़ज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल के पास हुए इसराइली हमले के बाद शुरू हुआ, जिसमें अनस अल-शरीफ़ सहित अल जज़ीरा के पांच पत्रकारों की मौत हो गई थी। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग़ज़ा में पत्रकारों की सुरक्षा और युद्ध के दौरान मानवीय संकट को लेकर बहस को और तेज कर दिया है।
ग़ज़ा में पत्रकारों की मौत पर विवाद: सुप्रिया श्रीनेत ने इसराइली राजदूत को लताड़ा, कहा- 'हमें भाषण न दें'