ग़ज़ा शहर में अल जज़ीरा के पांच पत्रकारों की इसराइली हमले में मौत के बाद उनके जनाज़े में भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जो उनकी लोकप्रियता और ग़ज़ा में उनके योगदान का प्रतीक है। रविवार देर शाम ग़ज़ा के अल-शिफ़ा अस्पताल के पास एक टेंट पर इसराइली हमले में अल जज़ीरा के पत्रकार अनस अल-शरीफ़, मोहम्मद कुराइका, इब्राहिम ज़हीर, मोहम्मद नौफ़ाल और मोएमेन अलीवा मारे गए। ये सभी पत्रकार अस्पताल के मुख्य द्वार पर बने एक टेंट में मौजूद थे, जो पत्रकारों के लिए कार्यस्थल के रूप में इस्तेमाल होता था। अनस अल-शरीफ़ ग़ज़ा पट्टी से रिपोर्टिंग करने वाले सबसे प्रमुख संवाददाताओं में से एक थे। इस हमले की कई देशों ने कड़ी निंदा की है, जबकि इसराइल ने इसे जायज़ ठहराते हुए दावा किया कि अनस अल-शरीफ़ हमास की पूर्वी जबालिया बटालियन से जुड़े थे और अन्य मारे गए पत्रकार इसराइल विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। अल जज़ीरा ने इन आरोपों का खंडन करते हुए इस हमले को 'निशाना बनाकर की गई हत्या' करार दिया। चैनल के मैनेजिंग एडिटर मोहम्मद माववाद ने कहा, "यह एक सुनियोजित और लक्षित हत्या थी। हमारे पत्रकार सत्य को सामने लाने के लिए काम कर रहे थे।" ईरान ने इस घटना की निंदा करते हुए इसराइल को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जवाबदेही की मांग की। ग़ज़ा की सड़कों पर उमड़ी भीड़ ने इन पत्रकारों के प्रति सम्मान और एकजुटता दिखाई, जो युद्धग्रस्त क्षेत्र में सच्चाई को उजागर करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे। यह घटना ग़ज़ा में पत्रकारों की सुरक्षा और युद्ध के दौरान मानवीय संकट को लेकर वैश्विक बहस को और तेज कर रही है।
ग़ज़ा में अल जज़ीरा पत्रकारों के जनाज़े में उमड़ी भीड़, ईरान ने इसराइल पर ठीकरा फोड़ा