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Wednesday, 8 October 2025

मोदी राज में दलित होने की सज़ा: हरिओम की हत्या पर नहीं रुक रहे हैं परिवार के आंसू

मोदी राज में दलित होने की सज़ा: हरिओम की हत्या पर नहीं रुक रहे हैं परिवार के आंसू
लखनऊ/रायबरेली, 8 अक्टूबर

 2025 उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एक दलित युवक हरिओम वाल्मीकि की बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दिए जाने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। चोरी के संदेह में 50-60 लोगों की भीड़ ने मानसिक रूप से कमजोर हरिओम को घेर लिया और उनकी जान ले ली। यह घटना न केवल एक परिवार के दर्द की कहानी है, बल्कि मोदी सरकार के शासनकाल में दलित समुदाय पर बढ़ते अत्याचारों का आईना भी है। परिवार के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे, और न्याय की गुहार लगातार गूंज रही है। घटना 2 अक्टूबर की है। 

फतेहपुर जिले के रहने वाले 35 वर्षीय हरिओम वाल्मीकि रायबरेली के ऊंचाहार थाना क्षेत्र के ईश्वरदासपुर गांव में अपनी 11 साल की बेटी अनन्या से मिलने जा रहे थे। उनकी पत्नी करीब दस साल से मायके में रह रही थीं, लेकिन तलाक नहीं हुआ था। रात के अंधेरे में दांडेपुर जमुनापुर के पास भीड़ ने उन्हें ड्रोन चोर गैंग का सदस्य समझ लिया। लाठियों और मुक्कों से की गई पिटाई इतनी क्रूर थी कि हरिओम की मौके पर ही मौत हो गई। पिटाई के दौरान उन्होंने दर्द में चीखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम भी लिया, जो बाद में इस मामले को राजनीतिक रंग दे गया। परिवार का दर्द देखकर कोई भी इंसान का कलेजा फट जाए। हरिओम के पिता रामदास वाल्मीकि ने आंसू भरी आंखों से कहा, "मेरा बेटा निर्दोष था। वो बस अपनी बेटी से मिलने जा रहा था। इन दबंगों ने इसे चोर समझ लिया और मार डाला। हम गरीब हैं, दलित हैं, लेकिन क्या हमारी जिंदगी इतनी सस्ती है?" पिता ने प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है, यहां तक कि आरोपी दबंगों के घरों पर बुलडोजर एक्शन की गुहार लगाई। हरिओम की पत्नी ने फूट-फूटकर रोते हुए कहा, "मुझे सजा-ए-मौत दो हत्यारों को। मेरी बेटी अब अनाथ हो गई है। कौन संभालेगा इसे?" परिवार के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे। वे न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन सत्ता पक्ष पर आरोप है कि वे आरोपी दबंगों को बचाने की कोशिश कर रहा है। पुलिस ने अब तक नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें चार को मंगलवार देर रात हिरासत में लिया गया। एसपी यशवीर सिंह ने बताया कि सभी पर रासुका और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी चल रही है। एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें पिटाई की भयावह तस्वीरें कैद हैं। लेकिन परिवार का कहना है कि मुख्य आरोपी अभी भी फरार हैं और वे भाजपा से जुड़े दबंग हैं। सोशल मीडिया पर इस घटना को जातिगत रंग देने वालों पर नजर रखी जा रही है, लेकिन सवाल वही है – क्या न्याय मिलेगा? यह घटना अकेली नहीं है। मोदी राज में दलितों पर अत्याचारों की सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। हरियाणा में एक दलित किशोर की हत्या हो चुकी है, मध्य प्रदेश के सागर में एक दलित युवक को पीट-पीटकर मार डाला गया, और यूपी में ही दलितों पर मुकदमे और हिंसा की खबरें आम हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे "इंसानियत, संविधान और न्याय की हत्या" बताते हुए कहा, "मैं हरिओम के परिवार के साथ खड़ा हूं। देश संविधान से चलेगा, भीड़ की सनक से नहीं।" पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर मोदी-योगी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस की नफरत की मुहिम से दलितों की जिंदगियां खतरे में हैं। लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर NSUI कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। "हरिओम वाल्मीकि को न्याय दो", "दलितों का सम्मान करो" जैसे नारे गूंजे। सपा सांसद आर.पी.एन. सिंह ने कहा, "कानून का राज खत्म हो गया है, जंगल राज कायम है।" कानपुर में कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमैन राजेंद्र पाल गौतम ने बोला, "दलित समाज भाजपा सरकार में सबसे ज्यादा त्रस्त है। वोट चोरी का नुकसान इन्हें ही हो रहा।" रायबरेली की यह घटना सवाल खड़ी करती है – क्या दलित होना अपराध बन गया है? मोदी सरकार के दावों के बावजूद दलितों की बस्तियां गंदगी और गरीबी में सड़ रही हैं। संत रविदास मंदिर बनाने का ढोंग तो हो रहा है, लेकिन असल न्याय कब मिलेगा? परिवार के आंसू सूखने तक यह संघर्ष जारी रहेगा। सरकार को चाहिए कि तत्काल सख्त कदम उठाए, वरना यह आग पूरे समाज को भस्म कर देगी।