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Monday, 13 October 2025

गज़ा में ज़ायोनी शासन की हार, मैदाने जंग और राजनीति में प्रतिरोध की जीत

गज़ा में ज़ायोनी शासन की हार, मैदाने जंग और राजनीति में प्रतिरोध की जीत
फिलिस्तीनी प्रतिरोध गुटों ने युद्धविराम वार्ता में अपने और फिलिस्तीनी जनता के वैध हितों को सुनिश्चित करने पर जोर दिया है।

पीपुल्स फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ पैलेस्टाइन की राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य मारवान अब्दुल आल ने जोर देकर कहा कि प्रतिरोध के हथियारों का मुद्दा कभी भी बातचीत की मेज पर नहीं रहा है और गज़ा का प्रशासन एक राष्ट्रीय मामला बना रहेगा। ज़ायोनी शासन की प्रकृति की ओर इशारा करते हुए अब्दुल आल ने आगे कहा: हम एक ऐसे दुश्मन से पाला पड़ा है जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता और जो लगातार समझौतों का उल्लंघन करता रहता है।

मिस्र के शर्म अल-शेख में गज़ा युद्धविराम वार्ता हो रही है, जिसे सियोनीस्त शासन की विफलता का संकेत माना जा सकता है, क्योंकि ज़ायोनियों के प्रारंभिक सैन्य और राजनीतिक लक्ष्य पूरे नहीं हुए हैं और वे आंतरिक एवं अंतरराष्ट्रीय दबाव में पीछे हटने को मजबूर हैं।

ज़ायोनी शासन के खिलाफ फिलस्तीनी प्रतिरोध की सफलता सैन्य क्षमता, जनसमर्थन, दुश्मन के लक्ष्यों की विफलता और क्षेत्रीय एवं वैश्विक समीकरणों में बदलाव का संयुक्त परिणाम है। यह सफलता न केवल युद्ध के मैदान में, बल्कि राजनीतिक और मीडिया क्षेत्र में भी देखी जा सकती है। गज़ा के लोगों ने बमबारी और घेराबंदी के बावजूद प्रतिरोध के सामाजिक आधार को न केवल बनाए रखा, बल्कि मजबूत भी किया। क्षेत्रीय प्रतिरोध के मोर्चे ने भी, जिसमें लेबनान, यमन और इराक शामिल हैं, फिलिस्तीन के लिए नैतिक और राजनीतिक समर्थन बढ़ाया।

यरूशलेम पर क़ब्ज़ाधारी सरकार ने गज़ा युद्ध शुरू किया था और इस कार्रवाई के लिए अपने विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए थे। युद्ध के पहले दिन से ही ज़ायोनियों ने घोषणा की थी कि वे हमास के विनाश, गज़ा से अधिकृत क्षेत्रों पर रॉकेट हमलों को रोकने और बल के इस्तेमाल से अपने बंधकों की रिहाई चाहते हैं। हालांकि, वे अपने सभी लक्ष्यों में विफल रहे हैं।

ज़ायोनी अधिकारियों और यहां तक कि ज़ायोनी प्रधानमंत्री बेन्यामीन नेतन्याहू ने भी स्वीकार किया है कि हमास अभी भी जीवित और शक्तिशाली बना हुआ है। ज़ायोनी शासन न केवल गज़ा युद्ध में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रहा, बल्कि व्यवहार में उसे विभिन्न क्षेत्रों में हमास की शर्तों को भी स्वीकार करना पड़ा।

युद्धविराम वार्ता प्रक्रिया में हमास की सक्रिय पहल और फिलिस्तीनी प्रतिरोध की युद्धविराम स्थापित करने के लिए अमेरिकियों और ज़ायोनियों की आवश्यकता, फिलिस्तीनी जनता और प्रतिरोध की जीत का सबसे महत्वपूर्ण प्रमाण है। फिलिस्तीनी प्रतिरोध क्षेत्रीय समीकरणों में अपनी स्थिति मजबूत करने और एक स्वतंत्र एवं शक्तिशाली खिलाड़ी के रूप में पहचान बनाने में सफल रहा।

फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने अपनी बिजली-गति वाली कार्रवाइयों से सियोनीस्त शासन की सेना की अजेयता की मिथक को पूरी तरह से खंडित कर दिया। 'आयरन डोम' मिसाइल रक्षा प्रणाली की मौजूदगी के बावजूद, फिलिस्तीनी प्रतिरोध सैकड़ों रॉकेटों को अधिकृत क्षेत्रों के अंदरूनी इलाकों में दागने और उल्लेखनीय क्षति पहुँचाने में कामयाब रहा।

अंततः, फिलिस्तीनी प्रतिरोध युद्धविराम समझौते में कैदियों की रिहाई, हमलों पर रोक, सीमा चौकियों को फिर से खोलने और आबादी वाले इलाकों से कब्जाधारी सेना की वापसी जैसी शर्तों को शामिल कराने में सफल रहा।

कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने प्रतिरोध को फिलिस्तीनी जनता के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देकर उसका समर्थन किया। प्रतिरोध, कब्जे के खिलाफ फिलिस्तीनियों के शोषण और संघर्ष की पक्षधर कहानी को स्थापित करने और दुनिया भर के लोगों का व्यापक समर्थन हासिल करने में सफल रहा। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने ज़ायोनी शासन की सेना के युद्धापराधों को कवर किया और जनता की राय को उसके खिलाफ जुटाया।

अमेरिकी समर्थन प्राप्त ज़ायोनी शासन की सेना के हमलों, दबाव और व्यापक विनाश के बावजूद, गज़ा के लोगों ने प्रतिरोध का समर्थन जारी रखा और अपने संघर्ष के जज्बे को कायम रखा।

गज़ा युद्ध ने दर्शाया कि फिलिस्तीनी प्रतिरोध ने न केवल अपनी सैन्य और रणनीतिक क्षमता को मजबूत किया है, बल्कि राजनीतिक, मीडिया और सामाजिक मोर्चों पर भी उल्लेखनीय सफलताएँ हासिल की हैं। यह युद्ध फिलिस्तीनी संघर्ष के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था, जिसने क्षेत्रीय और वैश्विक समीकरणों को प्रभावित किया है। (AK)