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Monday, 18 November 2024

दामोह के स्वदेशी मेले में मुस्लिमों की नो एंट्री; दुकान बंद कराकर भगाया

दामोह के स्वदेशी मेले में मुस्लिमों की नो एंट्री; दुकान बंद कराकर भगाया
मध्य प्रदेश के दमोह से बड़ी खबर है. यहां सार्वजनिक मेले में मुस्लिम दुकानदारों की दुकानों पर पाबंदी लगाई गई है. न सिर्फ पाबंदी बल्कि जो मुस्लिम दुकानदार यहां मेले में दुकाने लगाए हुए थे, उन्हें भी मेले से बाहर कर दिया गया है. इस सनसनीखेज मामले के सामने आने के बाद इलाके में गहमागहमी मची हुई है. इस मामले पर अब सोशल मीडिया पर वार शुरू हो गया है. दरअसल, दमोह के तहसील मैदान पर बीते 14 नवंबर से 24 नवंबर तक मेले का आयोजन हो रहा है. इस मेले को स्वदेशी मेला नाम दिया गया है. मेले के आयोजन के पीछे की जो वजह बताई गई है, वह यह है कि उसमें स्थानीय संस्कृति से लोगो को रूबरू कराने के साथ-साथ घरेलू उत्पादों के प्रति लोगों को आकर्षित करना है. ताकि लोग विदेशी चीजों और उत्पादों से दूर रहें. देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो. इस स्वदेशी मेले में जहां हर दिन विभिन्न प्रतियोगिताएं हो रही हैं, वहीं सांस्कृतिक आयोजन भी चल रहे हैं. मेले में बड़ी संख्या में दुकानें भी सजाई गई हैं और इन दुकानों में घरेलू और देश के अलग-अलग हिस्सों में बनी स्वदेशी चीजों को बेचा जा रहा है.
                 दुकानदार शाहिद
मेले में मुसलमानों की दुकानें नहीं लगेंगी
मेला बीते तीन दिनों से चल रहा है, लेकिन रविवार को सोशल मीडिया के जरिए विवादास्पद बातें सामने आईं हैं. इसके बाद मेला सुर्खियों में आ गया है. इस स्वदेशी मेले में भाई जान दुकानदारो की एंट्री को बैन कर दिया गया है. मतलब, इस मेले में किसी भी मुस्लिम की दुकान नहीं लगेगी. जिन लोगों की दुकानें लगी थीं, उन्हें भी मेले से बाहर कर दिया गया है. सोशल मीडिया हेंडिल एक्स और फेसबुक के अलावा वाट्सएप पर कुछ ऐसे ही दुकानदारों के बयान पोस्ट किए गए हैं, जो साफ बता रहे हैं कि उन लोगों को मेले से बाहर निकाल दिया गया है.
मध्यप्रदेश के दमोह में स्वदेशी मेला जो तहसील ग्राउंड दमोह में 14 से 24 नवम्बर तक चलना है उससे आज सभी मुस्लिम दुकानदारों से दुकान खाली करा ली गईं है।लखनऊ,आगरा कानपुर काश्मीर के दुकानदार,वापस सारा सामान लेकर चले गए,दमोह की सामाजिक समरसता की क्षवि को देश भर में ये लोग किस तरह लेकर जाएंगे.... गम्भीर चिंता का विषय
दमोह जिला कलेक्टर द्वारा स्पस्ट कहने के बाद कि ये मेला सरकारी उपक्रम नही है..निजी और व्यक्तिगत है..फिर भी जिला शिक्षा अधिकारी दमोह मेले में समस्त शासकीय/अशासकीय शालाओं के छात्र/छात्राओं को जाने के लिए आदेशित कर रहे हैं..स्कूलों के मास्टर्स की ड्यूटी लगा रहे है मेला में..समझ से परे

मुसलमानों को मेले से चले जाने को कहा

इस मेले में कश्मीर, उत्तर प्रदेश सहित देश के दूसरे राज्यों और मध्य प्रदेश के कई जिलों के व्यापारी अपनी अपनी दुकान लगाए थे. मेला समिति ने बाकायदा किराया लेकर इन दुकानों को यहां जगह दी थी. सोशल मीडिया पर आए वीडियोज में कश्मीर और यूपी के दुकानदार बता रहे हैं कि उन्होंने मेले में विधिवत दुकानें ली थीं. 14 तारीख से वो लोग यहां दुकान चला रहे थे. लेकिन रविवार को मेला समिति ने उनसे दुकाने बंद कर यहां से बाहर चले जाने को कहा गया. शाम तक उनकी दुकाने बंद कर उन्हें मेले से बाहर किया गया. दुकानदार बता रहे हैं कि दुकानें बाहर करने की वजह उनका मुस्लिम होना है.
समिति ने मीडिया से बनाई दूरी

इल्जाम है कि मेला समिति ने सिर्फ मुस्लिम होने की वजह से उन्हें बाहर किया है. इतना ही नहीं, एक दुकानदार की मानें तो बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उनसे दुकान बंद करने को कहा. इस मेले में ऐसे 20 से 22 मुस्लिम दुकानदारों को बाहर किया गया है. इस इलाके में ऐसा मौका पहली बार आया है, जब धर्म के नाम पर किसी मेले से वर्ग विशेष के दुकानदारों को बाहर किया गया है. इस मामले में मेला आयोजन समिति और बजरंग दल के जिम्मेदार मीडिया से दूरी बनाए हुए हैं. कश्मीर और उत्तरप्रदेश के इन प्रभावित दुकानदारों की दुकानें बंद हो गई हैं और रविवार को ही उन्होंने दमोह भी छोड़ दिया है.