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Thursday, 9 January 2025

क़त्लेआम की साइंस, दमन और अपराध में इजराइली विश्वविद्यालयों का करेक्टर

क़त्लेआम की साइंस, दमन और अपराध में इजराइली विश्वविद्यालयों का करेक्टर
             तेल अवीव विश्वविद्यालय 

 इजराइल के विश्वविद्यालय, फिलिस्तीनियों के दमन में इस्तेमाल किए जाने वाले सिस्टम्स और नियंत्रण व निगरानी सिस्टम्स के विकास से संबंधित परियोजनाओं का समर्थन करते हैं। इज़राइल के विश्वविद्यालयों पर इस शासन के युद्धों का समर्थन करने के आरोप बढ़ते जा रहे हैं।

पार्सटुडे के अनुसार, इन आरोपों के आधार पर, ज़ायोनी शासन 1996 से यूरोपीय अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों का भागीदार रहा है और तब से लेकर इसे "होराइजन 2020" और "होराइजन यूरोप" जैसे कार्यक्रमों के ढांचे के भीतर भारी वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है।

2024 और 2020 के बीच, इजराइली को वैज्ञानिक और तकनीकी विकास और नवीन टेक्नालाजी की परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए होराइजन कार्यक्रम में 1.28 बिलियन यूरो और 2021 में होराइजन यूरोप कार्यक्रम में 747 मिलियन डॉलर से अधिक प्राप्त हुए, जबकि मदद की यह राशि इज़राइली सैन्य उद्योग के समर्थन के लिए एक ज़रिए में तब्दील हो गयी है।

तेल अवीव विश्वविद्यालय, यरूशलेम के हिब्रू विश्वविद्यालय और टेक्नियन इंस्टीट्यूट जैसे प्रमुख इज़राइली विश्वविद्यालय, विकसित व उन्नत प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए सीधे यूरोपीय सहायता का उपयोग करते हैं और इनमें से अधिकतर प्रौद्योगिकियों को ड्रोन, मिसाइलों और रक्षा सिस्टम्स पर ख़र्च किये जाते हैं।

इन चीज़ों को दुनिया के बाज़ारों में पेश करने से पहले या इस्तेमाल करने से पहले ही इनका परीक्षण फ़िलिस्तीनियों और फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में किया जाता है।

इस संबंध में, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इज़राइल की सेना और युद्धों के समर्थन में इज़राइली विश्वविद्यालयों की भूमिका पर एक रिपोर्ट में कहा कि इजराइली विश्वविद्यालयों में विकसित सैन्य टेक्नालाजीज़ का उपयोग, सैन्य अभियानों में किया गया था, जिसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्ध अपराध माना जाता है।

इज़राइल के सभी 7 प्रमुख विश्वविद्यालयों ने, बिना किसी अपवाद के, व्यापारिक कंपनियों की स्थापना की जिनकी इस शासन के सैन्य और सुरक्षा उद्योगों के साथ दीर्घकालिक भागीदारी है जो इज़राइल में विश्वविद्यालय सिस्टम और सैन्य उद्योग के बीच हस्तक्षेप और संबंधों के आयामों की ओर इशारा करते हैं।

इज़राइली विश्वविद्यालयों की भूमिका केवल अनुसंधान और विकास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सैन्य क्षेत्र परीक्षणों तक फैली हुई है, ख़ासकर ग़ज़ा पट्टी में। हक़ीक़त में, फिलिस्तीनी भूमि इन टेक्नॉलॉजीज़ की एक खुली प्रयोगशाला है, जहां विभिन्न प्रकार के हथियार, नियंत्रण और निगरानी के सिस्टम्स, फ़िलिस्तीनियों पर परीक्षण किये जाते हैं।

इज़राइली विश्वविद्यालयों की भूमिका यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि वे फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियों को लागू करते हैं, फ़िलिस्तीनियों को अंतरराष्ट्रीय संस्थानों द्वारा वित्त पोषित क्षेत्रों में अध्ययन करने से रोकते हैं, और इज़राइल ग़ज़ा पट्टी में इज़राइल के युद्धों के खिलाफ किसी भी फिलिस्तीनी छात्र के विरोध को गंभीर रूप से दबा देता है।

इज़राइली विश्वविद्यालयों के कामों और प्रदर्शनों को कई यूरोपीय शैक्षणिक हल्क़ों से व्यापक विरोध और आलोचना का सामना करना भी पड़ा है।

जुलाई 2023 में, दो हजार से अधिक यूरोपीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और 45 वैज्ञानिक और शैक्षणिक संस्थानों ने सैन्य योजनाओं के विकास में शामिल इजराइली वैज्ञानिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों को यूरोपीय संघ के समर्थन और वित्तीय सहायता को दूर करने की मांग की गयी है। (AK)