इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री ने बल देकर कहा है कि ईरान परमाणु प्रतिष्ठानों पर हर प्रकार के हमले का तुरंत और करारा जवाब देगा। इसी प्रकार उन्होंने बल देकर कहा कि अमेरिका और इस्राईल पागल हैं अगर वे ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करते हैं तो यह क्षेत्र के लिए बुरी त्रासदी होगी।
ईरान के विदेशमंत्री सैय्यद अब्बास इराक़ची ने स्काई न्यूज़ चैनल के साथ वार्ता में विभिन्न क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों के बारे में तेहरान के दृष्टिकोणों को बयान किया। स्काई न्यूज़ ने विदेशमंत्री के साथ वार्ता को मंगलवार 28 जनवरी को प्रसारित व प्रकाशित किया था। इस वार्ता के महत्वपूर्ण भाग इस प्रकार हैं।
सवालः आपने इस पद भार को बहुत संवेदनशील समय में संभाला है, क्षेत्र अशांत है। वाइट हाउस में आपके सामने ऐसा व्यक्ति है जो ईरान का दुश्मन रहा है परंतु डोनाल्ड इस समय ईरान के साथ समझौते की बात कर रहे हैं। इस आधार पर धमकी भी है और अवसर भी। क्या आप इस बात की संभावना देख रहे हैं कि ईरान वार्ता करने और डोनाल्ड ट्रम्प के साथ एक प्रकार के समझौते के लिए तैयार है?
जवाबः नई सरकार विदेश नीति को प्रभावी और सक्रिय बनाने की कोशिश करेगी। अलबत्ता व्यापक और संतुलित बनाने का प्रयास करेगी। केवल कुछ बातें हैं जो इससे अपवाद हैं और आप उन्हें जानते हैं। इस आधार पर इसका यह अर्थ है कि हम विश्व के समस्त देशों के साथ वार्ता करने और लेनदेन के लिए तैयार हैं। खेद के साथ कहना पड़ता है कि जब मैंने काम शुरु किया तो क्षेत्र एक व्यापक जंग के मुहाने पर था और हमारा मूल उद्देश्य क्षेत्र में व्यापक जंग और तनाव को अधिक होने से रोकना और उससे परहेज़ करना था जो पूरे क्षेत्र के लिए एक त्रासदी था। मैं क्षेत्र के हर उस देश की यात्रा पर गया जिससे हमारे संबंध हैं यहां तक कि मैं मिस्र और बहरैन की यात्रा पर भी गया जबकि इन देशों के हमारे कूटनयिक संबंध नहीं हैं। हमने क्षेत्र में एक संयुक्त आवाज़ बनाने व उत्पन्न करने का प्रयास किया ताकि तनाव में वृद्धि को रोका जा सका और मैं समझता हूं कि मैं इसमें कामयाब रहा हूं।
साथ ही मैं ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम के बारे में एक नया समझौता करने के प्रयास में हूं। हमने अपनी वार्ता को जारी रखने पर सहमति की है और ईरान के परमाणु कार्यक्रम के बारे में भ्रांतियों को दूर करने, विश्वास को बहाल करने, या कम से कम परमाणु समझौते पर लौटने के मार्ग का पता लगायें और यह देखें कि किस तरह इस बहुत कठिन समय में समाधान का नया मार्ग खोजते हैं। अलबत्ता यह अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव से पहले था। चुनाव के बाद हम अभी इस प्रतीक्षा में हैं कि देखते हैं कि नई सरकार किस तरह की और क्या नीति अपनाती है? परमाणु समझौते के संबंध में हमारी नीति परमाणु कार्यक्रम के संबंध में विश्वास बहाल करना और उसके बदले में परमाणु प्रतिबंधों को समाप्त करना है।
विदेशमंत्री ने कहा कि अलबत्ता अमेरिका को उसका महत्वपूर्ण भाग होना चाहिये। क्योंकि अधिकांश प्रतिबंध अमेरिका की ओर से लगाये गये हैं। इस आधार पर क्या हम उन्हीं बातों पर पलट सकते हैं अभी कुछ चीज़ें हैं जिन्हें सामने वाले पक्ष से हम सुनने की प्रतीक्षा में हैं। अलबत्ता हम धमकी वाली भाषा में जवाब नहीं देते हैं।
यह एक वास्तविकता है और इस चीज़ को हमने अतीत में साबित कर दिया है मगर हम सम्मान की भाषा का जवाब देते हैं। इस आधार पर हम उसी अनुभव को दोहराने के प्रयास में हैं। साथ ही हमारे पास दूसरे अनुभव भी हैं। जब हमें धमकी दी गयी और हम पर प्रतिबंध लगाये गसे तो उसका नतीजा क्या था?
विदेशमंत्री ने कहा कि इस समय हम परमाणु तकनीक में बहुत प्रगति कर गये हैं। इसी प्रकार हम अपने प्रतिरक्षा उद्दोग में बहुत प्रगति कर गये हैं। क्यों? क्योंकि उन्होंने हम पर प्रतिबंध लगा दिया और हमें मजबूर कर दिया कि अपनी क्षमता व योग्यता पर भरोसा करें और अपने पैर पर खड़े हो जायें। इस आधार पर प्रतिबंध प्रभावी नहीं थे।
सवालः इस्राईल की बात करते हैं। क्योंकि समझता हूं कि इस्राईल की ओर से ख़तरा मौजूद है। हमने इस्राईल के विदेशमंत्री को कहते हुए सुना है कि ईरान पर हमले के लिए कोई समय इससे बेहतर नहीं था क्योंकि ईरान सबसे कमज़ोर हालत में है। डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कहा है कि अगर समझौता नहीं होता है तो वह इस संबंध में इस्राईल का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। आप किस सीमा तक इस संभावना के संबंध में चिंतित हैं?
जवाबः इस सवाल के जवाब में विदेशमंत्री ने कहा कि वे जानते हैं कि यह वास्तविक धमकी नहीं है। क्योंकि वे हमारे जवाब देने की क्षमता से अवगत हैं और हमने स्पष्ट शब्दों में एलान कर दिया है कि हमारे परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले का जवाब तुरंत और करारा होगा। मैं नहीं समझता कि वे इस प्रकार की पागलपन की ग़लती करेंगे। वास्तव में यह पागलपन है। हर चीज़ को एक क्षेत्र में बड़ी त्रासदी में बदल देगी। मैं उसके बारे में बात तक नहीं करना चाहता। क्यों? क्योंकि मैं समझता हूं कि यह धमकी वास्तविक नहीं है।
सवालः एक अन्य विषय इस्राईल, फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के बारे में है। डोनाल्ड ट्रप ने अभी हाल में कहा है कि ग़ज़ा पट्टी में एक चीज़ नस्ली सफ़ाये का विकल्प हो सकती है। ट्रंप ने फ़िलिस्तीनियों को सुझाव दिया है कि उन्हें कहीं और स्थानांतरित कर देंगे। क्या यह ईरान के लिए एक रेड लाइन है और अगर ऐसा हो जाता है तो ईरान की क्या प्रतिक्रिया होगी?
जवाबः इसके जवाब में विदेशमंत्री ने कहा कि इस बात को नहीं भूलना चाहिये कि अंत में इस्राईली इस नतीजे पर पहुंच गये कि हमास से वार्ता करनी चाहिये। वे हमास को ख़त्म करने के लिए वहां गये परंतु अंत में अपने बंदियों को छुड़ाने के लिए हमास से वार्ता करने के लिए मजबूर हो गये। तो मेरा सुझाव कुछ और है। फ़िलिस्तीनियों के बजाये इस्राईलियों को निकालना चाहिये। उन्हें ग्रीनलैंड ले जाइये ताकि एक तीर से दो निशाना सध जाये। ग्रीनलैंड की मुश्किल हल जायेगी और इस्राईली भी वहां रहेंगे। ...mm