यमन की सशस्त्र सेनाओं द्वारा ज़ायोनी शासन की नौसैनिक नाकेबंदी ने इज़राइल के पास सीमित विकल्प ही छोड़े हैं तथा उसके लिए एक बड़ी रणनीतिक दुविधा पैदा कर दी है।
पार्सटुडे के अनुसार, इज़राइल की आंतरिक सुरक्षा अकादमी ने यमनी सशस्त्र बलों द्वारा इज़राइली शासन की घेराबंदी से उत्पन्न सुरक्षा, आर्थिक और सैन्य ख़तरों का विश्लेषण किया है।
उन्होंने लिखा: यमन की सशस्त्र सेनाओं ने इज़राइल के विरुद्ध जो खतरा उठाया है, वह केवल ग़ज़ा युद्ध का परिणाम नहीं है, बल्कि यह उससे सीधे जुड़ा हुआ मुद्दा है।
रिपोर्ट में इस बात पर गौर किया गया है कि जब तक इज़राइली शासन का ग़ज़ा के खिलाफ आक्रमण जारी रहेगा, तब तक यमन के मिसाइल हमले जारी रहेंगे। इस रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि यह मुद्दा, क्षेत्र में इज़राइल की सुरक्षा और रणनीतिक स्तर के लिए गंभीर और नई चुनौतियां पैदा करता है।
इस इज़राइली सुरक्षा केंद्र ने माना कि सनआ के पास हाई फ़ाई ताक़त स्वतंत्र सैन्य बल हैं, और इसके कारण उसे बढ़ती हुई शक्ति प्राप्त हो रही है, जिसे पारंपरिक साधनों का उपयोग करके रोकना या डायवर्ट करना असंभव है।
इस इज़रायली जासूसी एजेंसी की रिपोर्ट का मानना है कि सनआ एक क्षेत्रीय शक्ति है जिसे सैन्य निर्णय लेने में उच्च स्तर की स्वतंत्रता प्राप्त है। रिपोर्ट के अनुसार, इस स्वतंत्रता ने लाल सागर और उसके आस-पास के जलमार्गों में सनआ की सैन्य गतिविधियों को रोकने के इज़राइली शासन और उसके सहयोगियों के प्रयासों को बहुत जटिल बना दिया है।
जबकि इज़राइली शासन ने सोचा था कि वह कुछ क्षेत्रों को निशाना बनाकर यमनी सशस्त्र बलों की समुद्री गतिविधियों को नियंत्रित कर सकता है, यमनी सशस्त्र बलों ने तनाव बढ़ाने में सफलता प्राप्त कर ली है, जिससे संकेत मिलता है कि वे लाल सागर में अमेरिकी सैन्य अभियानों को भी चुनौती दे सकते हैं और उसके व्यापारिक जहाजों के मार्ग को बदल सकते हैं।
सुरक्षा एवं अध्ययन केंद्र ने कहा कि उपरोक्त प्रक्रिया संवेदनशील स्थिति में ज़ायोनी शासन के लिए एक वास्तविक ख़तरा है तथा यमन के सशस्त्र बलों की ओर से मिसाइल ख़तरों के अलावा, सनआ द्वारा तेल अवीव और इज़राइली जहाजों की नौसैनिक नाकेबंदी, इज़राइली जहाज़ों की आवाजाही को बाधित करने और इज़राइली अर्थव्यवस्था पर और दबाव डालने में सफल रही है जो कि मुख्य रूप से समुद्री व्यापार पर केन्द्रित है।
ये दबाव ऐसे समय में आ रहे हैं जब तेल अवीव भी ग़ज़ा में युद्ध के परिणामों से पीड़ित है। ऐसा प्रतीत होता है कि ज़ायोनी शासन के विरुद्ध सनआ का खतरा केवल सैन्य खतरा नहीं है, बल्कि इज़राइल के लिए इसके व्यापक आर्थिक और राजनीतिक परिणाम भी सामने आए हैं।
इज़राइली जहाजों पर अंसारुल्लाह के मिसाइल हमलों और इज़इराल द्वारा समुद्री व्यापार को बंद करने या लाल सागर में शिपिंग पर रोक लगाने के नतीजों की वजह से इज़राइली शासन को यमनियों के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। (AK)