ग़ज़ा पट्टी के खिलाफ युद्ध और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में, ज़ायोनी शासन को पश्चिमी तट में अपनी खतरनाक योजनाओं को लागू करने का सुनहरा अवसर मिल गया है।
पार्सटुडे के अनुसार, फिलिस्तीनी राजनीतिक मामलों के विश्लेषक तौफ़ीक तोमा ने चेतावनी दी: पश्चिमी तट क्रूर इजराइली हमलों और मक़बूज़ा क्षेत्रों पर निरंतर क़ब्ज़े और अतिग्रहण का शिकार हो रहा है।
पश्चिमी तट पर ग़ज़ा पट्टी में जातीय सफाए की प्रक्रिया नरसंहार के साथ पूरी ताक़त से जारी है।
उन्होंने कहा, पश्चिमी तट पर हमला कोई नई बात नहीं है और यह दशकों से चल रहा है लेकिन ग़ज़ा पट्टी के खिलाफ युद्ध के दौरान यह मामला और अधिक तीव्र हो गया है और कब्जाधारियों के इरादे अधिक स्पष्ट हो गए और इस शासन के चरमपंथी नेताओं ने अरब या अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की परवाह किए बिना इसे सार्वजनिक रूप से उठाना शुरु कर दिया है।
विश्लेषक का कहना है: पूरा पश्चिमी तट हमले की चपेट में है, और ग़ज़ा पट्टी के खिलाफ युद्ध की छाया में, ट्रम्प के समर्थन से पश्चिमी तट को अपने में मिलाने का सुनहरा अवसर पैदा हो गया है, खासकर तब जब ट्रम्प ने पश्चिमी तट को अपने में मिलाने का वादा किया है।
ठीक उसी तरह जैसे ट्रम्प ने राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान सीरिया के गोलान हाइट्स को मक़बूज़ा क्षेत्रों में शामिल करने को मान्यता दी थी।
उन्होंने पश्चिमी तट में फिलिस्तीनी शिविरों को नष्ट करने और वहां के हजारों निवासियों को निष्कासित करने की अमेरिकी-ज़ायोनी योजना का एलान किया तथा इसके सबूत के रूप में जेनिन, नूर शम्स, तूलकरम और अन्य शिविरों की स्थिति का हवाला दिया।
तोमे का कहना है: पश्चिमी तट पर 13 नई ज़ायोनी बस्तियां बनाने और हजारों बस्तियां बनाने की योजना की घोषणा का उद्देश्य, पश्चिमी तट को निगलना और फ़िलिस्तीनियों को अपने क्षेत्रों में छोड़ने के लिए मजबूर करना है।
पश्चिमी तट पर जो होने वाला है वह बहुत खतरनाक है, क्योंकि क़ब्ज़ाधारी प्रत्येक प्रांत या शहर को अपने वफादारों को देने की योजना पर बात कर रहे हैं तथा प्रत्येक क्षेत्र में दूसरे से अलग प्रशासन होगा, और इस तरह से कब्जाधारी सेनाएं अपने एजेंटों के माध्यम से फिलिस्तीनियों को नियंत्रित कर सकेंगी।
इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिरोध को नष्ट करना भी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है।
इस विश्लेषक ने फिलिस्तीनी जनता के बीच एकता की आवश्यकता पर बल दिया और क़ब्ज़ाधारियों की इन योजनाओं का सामना करने के लिए प्रतिरोध पर ध्यान देने की बात कही तथा प्रतिरोध को अंतर्राष्ट्रीय परंपरा के अनुसार एक क़ानूनी अधिकार क़रार दिया। (AK)