1991 के खाड़ी युद्ध और 2003 के इराक युद्ध ने मध्य पूर्व में अस्थिरता का माहौल पैदा किया, जिसके कारण हजारों भारतीय नागरिक इराक और आसपास के क्षेत्रों में फंस गए। इन संकटकालीन परिस्थितियों में भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए अभूतपूर्व निकासी अभियान चलाए। इस प्रक्रिया में कई अरब देशों के साथ-साथ तुर्की ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तुर्की का सहयोग, विशेष रूप से उत्तरी इराक से भारतीय नागरिकों को निकालने में, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक और लॉजिस्टिक समर्थन साबित हुआ। यह लेख तुर्की की इस मानवीय सहायता और भारत-तुर्की संबंधों की मजबूती को रेखांकित करता है।
1991 खाड़ी युद्ध: तुर्की का प्रारंभिक सहयोग
1991 में जब इराक ने कुवैत पर आक्रमण किया, तो लाखों विदेशी नागरिक, जिनमें 1,70,000 से अधिक भारतीय शामिल थे, युद्धग्रस्त क्षेत्र में फंस गए। भारत ने ऑपरेशन सुरक्षित वापसी शुरू किया, जो इतिहास का सबसे बड़ा नागरिक निकासी अभियान बन गया। इस दौरान तुर्की ने उत्तरी इराक, विशेष रूप से कुर्द बहुल क्षेत्रों में फंसे भारतीय नागरिकों को निकालने में सहायता प्रदान की।
तुर्की ने अपनी सीमाओं को भारतीय नागरिकों के लिए खोला और उन्हें सुरक्षित ट्रांजिट सुविधाएं प्रदान कीं। उत्तरी इराक से भागकर तुर्की पहुंचे भारतीयों को अस्थायी आश्रय और लॉजिस्टिक समर्थन दिया गया। तुर्की के अधिकारियों ने भारतीय दूतावास के साथ मिलकर इन नागरिकों को हवाई अड्डों तक पहुंचाने में मदद की, जहां से वे भारत के लिए उड़ान भर सके। तुर्की की यह सहायता विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि उत्तरी इराक में युद्ध और अस्थिरता के कारण अन्य रास्ते जोखिम भरे थे।
2003 इराक युद्ध: तुर्की की सक्रिय भूमिका
2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक युद्ध के दौरान, स्थिति और जटिल हो गई। इस समय इराक में भारतीय कामगारों और पेशेवरों की संख्या कम थी, लेकिन फिर भी कई भारतीय नागरिक युद्धग्रस्त क्षेत्रों में फंसे थे। तुर्की ने इस बार भी अपनी सीमाओं और संसाधनों का उपयोग करके भारत की सहायता की।
उत्तरी इराक, विशेष रूप से कुर्दिस्तान क्षेत्र, में फंसे भारतीय नागरिकों को तुर्की के रास्ते निकाला गया। तुर्की ने अपने हवाई अड्डों, विशेष रूप से इस्तांबुल और अंकारा, को भारतीय नागरिकों की निकासी के लिए उपलब्ध कराया। इसके अलावा, तुर्की सरकार ने भारतीय दूतावास के साथ मिलकर सीमा पार परिवहन और सुरक्षा सुनिश्चित की। तुर्की के इस सहयोग ने उन भारतीयों की जान बचाई जो युद्ध के बीच फंस गए थे।
तुर्की का कूटनीतिक और मानवीय योगदान
तुर्की की सहायता केवल लॉजिस्टिक्स तक सीमित नहीं थी; यह भारत और तुर्की के बीच बढ़ते कूटनीतिक संबंधों का भी प्रतीक थी। तुर्की ने युद्ध के दौरान न केवल भारत के अनुरोधों का सम्मान किया, बल्कि मानवीय आधार पर भी अपनी जिम्मेदारी निभाई। तुर्की के अधिकारियों ने भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित किए और उनकी निकासी को प्राथमिकता दी।
इसके अलावा, तुर्की ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत के प्रयासों का समर्थन किया। संयुक्त राष्ट्र और अन्य मानवीय संगठनों के साथ समन्वय में तुर्की ने शरणार्थियों और विस्थापित लोगों की सहायता के लिए अपने संसाधनों का उपयोग किया, जिसमें भारतीय नागरिक भी शामिल थे। यह सहयोग भारत-तुर्की संबंधों में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ता है।
भारत का निकासी अभियान और तुर्की का सहयोग
भारत ने दोनों युद्धों के दौरान अपने नागरिकों को निकालने के लिए एयर इंडिया की उड़ानों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया। 1991 में, जॉर्डन के अम्मान से अधिकांश उड़ानें संचालित हुईं, लेकिन तुर्की के रास्ते निकाले गए नागरिकों को इस्तांबुल जैसे शहरों से भी भारत भेजा गया। 2003 में, तुर्की के हवाई अड्डों ने एक महत्वपूर्ण ट्रांजिट पॉइंट के रूप में काम किया।
तुर्की ने न केवल हवाई अड्डों की सुविधा प्रदान की, बल्कि भारतीय दूतावास के साथ मिलकर निकासी प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए स्थानीय परिवहन और सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित की। इस सहयोग ने भारत को अपने नागरिकों को तेजी से और सुरक्षित रूप से वापस लाने में मदद की।
निष्कर्ष
इराक युद्धों के दौरान तुर्की ने भारतीय नागरिकों की निकासी में एक महत्वपूर्ण और मानवीय भूमिका निभाई। उत्तरी इराक से भारतीयों को सुरक्षित निकालने, ट्रांजिट सुविधाएं प्रदान करने और कूटनीतिक समन्वय में तुर्की का योगदान अविस्मरणीय है। यह सहयोग न केवल भारत और तुर्की के बीच मजबूत संबंधों को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक संकट के समय में मानवीय एकजुटता का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है। तुर्की की इस सहायता ने हजारों भारतीयों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाया और दोनों देशों के बीच विश्वास का एक नया पुल बनाया।
संदर्भ
भारतीय विदेश मंत्रालय के अभिलेख
1991 और 2003 के इराक युद्धों के दौरान निकासी अभियानों पर समाचार रिपोर्ट
भारत-तुर्की कूटनीतिक संबंधों पर उपलब्ध जानकारी