डोनाल्ड ट्रंप ने यमन के हूती के सामने सरेंडर किया है, लेकिन उनके हालिया समझौते ने वैश्विक मंच पर विवाद और सवाल जरूर खड़े किए हैं। मई 2025 में, ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका हूती पर हमले रोक देगा, और बदले में हूतियों ने लाल सागर में अमेरिकी जहाजों पर हमले बंद करने का वादा किया। यह समझौता, जिसे ओमान ने मध्यस्थता के जरिए करवाया, ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति का हिस्सा माना जा रहा है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह उनकी हर देश में टांग अटकाने की आदत का एक और उदाहरण है, जो गैर-जिम्मेदाराना और अविश्वसनीय है।
हूती समझौते की पृष्ठभूमि
हूतियों ने नवंबर 2023 से लाल सागर में जहाजों पर ड्रोन और मिसाइल हमले शुरू किए, जिसे उन्होंने गाजा में फिलिस्तीनियों के समर्थन में बताया। इन हमलों ने वैश्विक व्यापार को प्रभावित किया, क्योंकि लाल सागर से करीब 15% वैश्विक शिपिंग होती है। ट्रंप ने मार्च 2025 में "ऑपरेशन रफ राइडर" शुरू किया, जिसमें 50 दिनों में 1,000 से ज्यादा हूती ठिकानों पर हमले किए गए। हालांकि, ये हमले हूतियों को पूरी तरह रोक नहीं पाए, और अमेरिका को $1 बिलियन से ज्यादा का नुकसान हुआ, जिसमें दो F/A-18 फाइटर जेट और सात ड्रोन भी नष्ट हुए।
6 मई 2025 को, ट्रंप ने अचानक घोषणा की कि हूतियों ने "लड़ाई छोड़ दी" और अमेरिका भी हमले रोकेगा। ट्रंप ने इसे अपनी जीत बताया, लेकिन हूती नेता मोहम्मद अली अल-हूती ने दावा किया कि यह अमेरिका का "पीछे हटना" है, और समझौता इजरायल पर हमलों को नहीं रोकता। यह दर्शाता है कि ट्रंप का दावा अतिशयोक्तिपूर्ण हो सकता है।
क्या यह सरेंडर था?
आलोचकों का कहना है कि यह समझौता ट्रंप की कमजोरी दर्शाता है। हूतियों को "पूरी तरह नष्ट" करने का उनका लक्ष्य पूरा नहीं हुआ, और समझौते में इजरायल को शामिल न करना अमेरिका-इजरायल संबंधों में दरार का संकेत देता है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल "अकेले अपनी रक्षा करेगा," और मई 2025 में हूती मिसाइल हमलों के जवाब में यमन के हुदैदा और सना हवाई अड्डे पर हमले किए। हूती प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि वे इजरायल पर हमले जारी रखेंगे, जिससे ट्रंप का दावा कमजोर पड़ता है।
इसके अलावा, ट्रंप के हमलों में नागरिक हताहतों की संख्या बढ़ी। 28 अप्रैल 2025 को एक संदिग्ध अमेरिकी हमले में 68 लोग मारे गए, और हूती-नियंत्रित सना में कई नागरिक हताहत हुए। मानवाधिकार संगठनों ने इन हमलों की आलोचना की, जिससे ट्रंप की नीति पर दबाव बढ़ा।
हर देश में टांग अटकाने की आदत
ट्रंप की यह हरकत उनकी वैश्विक दखलंदाजी की आदत को दर्शाती है। भारत-पाकिस्तान तनाव पर उनकी मध्यस्थता की पेशकश, चीन के साथ टैरिफ युद्ध, और बांग्लादेश की राजनीति पर टिप्पणियां उनकी बिना सोचे-समझे हस्तक्षेप की प्रवृत्ति को दिखाती हैं। हूती समझौते में भी, ट्रंप ने बिना ठोस योजना के दावा किया कि हूतियों ने हार मान ली, जबकि हूतियों ने इसे अपनी जीत बताया। यह उनकी गैर-जिम्मेदाराना बयानबाजी और कूटनीतिक अविश्वसनीयता को उजागर करता है।
भारत के लिए सबक
भारत के लिए ट्रंप की नीति दोधारी तलवार है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दोस्ती का दावा करते हैं, लेकिन उनकी टैरिफ नीतियां और अविश्वसनीय कूटनीति भारत के व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकती हैं। भारत-पाकिस्तान तनाव पर उनकी टिप्पणियां पहले भी दोनों देशों के लिए असहज रही हैं।
निष्कर्ष
ट्रंप का हूती समझौता सरेंडर का साथ, उनकी "अमेरिका फर्स्ट" पर एक बड़ धक्का है। ट्रम्प की
नीति हर देश में दखल की आदत का एक और उदाहरण है। यह समझौता अल्पकालिक राहत दे सकता है, ट्रंप की बयानबाजी और कूटनीतिक जल्दबाजी वैश्विक शांति के लिए खतरा बनी हुई है, और भारत जैसे देशों को उनकी नीतियों से सतर्क रहना होगा।