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Saturday, 7 June 2025

58 साल पहले, इमाम ख़ुमैनी ने इस्राईली शासन का बहिष्कार करने के संबंध में क्या फ़तवा दिया था?

58 साल पहले, इमाम ख़ुमैनी ने इस्राईली शासन का बहिष्कार करने के संबंध में क्या फ़तवा दिया था?
इस्राईल और उसके सहयोगियों के साथ किसी भी प्रकार का लेन-देन हराम है और मुसलमानों पर वाजिब है कि वे इस शासन और उससे जुड़ी कंपनियों का बहिष्कार करें।

यह फ़तवा उस समय दिया गया था जब इमाम ख़ुमैनी रह. इसराईल के साथ संबंधों और व्यापारिक लेन-देन के धार्मिक, राजनीतिक और नैतिक दुष्परिणामों के बारे में मुसलमानों को सचेत करना चाहते थे।

पार्स टुडे – ईरान की इस्लामी व्यवस्था के संस्थापक हज़रत इमाम ख़ुमैनी (रह.) ने 17 ख़ुर्दाद 1346 हिजरी शम्सी (7 जून 1967) को ज़ायोनी शासन के बहिष्कार के संबंध में एक फ़तवा जारी किया था।

17 ख़ुरदाद वह दिन है जब हज़रत इमाम ख़ुमैनी (रह.) ने इस्राईली शासन के बहिष्कार का फ़तवा जारी किया था। पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अरबों और इस्राईल के बीच हुए छह दिवसीय युद्ध के अवसर पर एक संदेश में यह क्रांतिकारी फ़तवा जारी किया था जिसमें इस्लामी देशों की सरकारों और इस्राईल के बीच किसी भी प्रकार के व्यापारिक और राजनीतिक संबंध को हराम घोषित किया। साथ ही इस्राईली उत्पादों के उपभोग को भी इस्लामी समाजों में हराम करार दिया था।

बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम

मैं बार-बार इस्लामी सरकारों से आग्रह करता रहा हूँ कि वे विदेशी शक्तियों और उनके एजेंटों के मुक़ाबले में आपस में एकता और भाईचारा स्थापित करें, जो शक्तियाँ मुसलमानों और इस्लामी सरकारों के बीच फूट डालकर हमारे प्रिय देशों को ग़ुलामी और अपमानजनक उपनिवेशवाद की ज़ंजीरों में जकड़े रखना चाहती हैं और हमारे आध्यात्मिक और भौतिक संसाधनों का शोषण कर रही हैं।

मैंने बार-बार सरकारों को, ख़ासकर ईरान की सरकार को, इस्राईल और उसके ख़तरनाक एजेंटों के बारे में चेताया है। यह फ़ितने व अशांति का बीज, जो इस्लामी देशों के केन्द्र में बड़ी ताक़तों के समर्थन से जम गया है और जिसकी फ़साद की जड़ें हर रोज़ इस्लामी देशों को धमका रही हैं इसे इस्लामी देशों और मुस्लिम उम्मत की कोशिशों से जड़ से उखाड़ देना चाहिए।

इस्राईल ने इस्लामी देशों के ख़िलाफ़ सशस्त्र विद्रोह किया है इसलिए इस्लामी सरकारों और मुसलमानों को साफ़ तौर पर इसका अंत कर देना चाहिये।

इस्राईल की मदद करना  चाहे वह हथियार और विस्फ़ोटक पदार्थ बेचना हो या तेल देना हराम और इस्लाम के खिलाफ़ है।

इस्राईल और उसके एजेंटों से किसी भी प्रकार का संबंध रखना हराम और इस्लाम के ख़िलाफ़ है चाहे वह व्यापारिक हो या राजनीतिक।

मुसलमानों को चाहिए कि वे इस्राईली वस्तुओं का उपयोग पूरी तरह से त्याग दें।

मैं अल्लाह तआला से इस्लाम और मुसलमानों की नुसरत व सहायता और उनकी विजय की दुआ करता हूँ। MM

सैयद रुहुल्लाह मूसवी ख़ुमैनी

17 ख़ुरदाद 1346 हिजरी शम्सी (7 जून 1967 ईस्वी)