दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के द्वारका में 10 जून 2025 को एक चार मंजिला आवासीय इमारत में लगी भीषण आग ने तीन लोगों की जान ले ली। सेक्टर-10 में हुई इस त्रासदी ने न केवल स्थानीय निवासियों को झकझोर दिया, बल्कि दिल्ली के आपातकालीन प्रबंधन और अग्निशमन सेवाओं की लचर व्यवस्था को भी उजागर कर दिया। हैरानी की बात यह है कि इस हादसे पर न तो सरकार ने कोई ठोस बयान दिया और न ही मीडिया ने इसे प्रमुखता से उठाया।
क्या हुआ द्वारका में?
स्थानीय लोगों के अनुसार, आग सुबह के समय अचानक भड़क उठी और देखते ही देखते पूरी इमारत को अपनी चपेट में ले लिया। आग इतनी तेज थी कि कई लोग इमारत में फंस गए। मृतकों में एक महिला और दो बच्चे शामिल हैं, जबकि कई अन्य लोग घायल हुए हैं, जिन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दमकल विभाग को सूचना देर से मिली और जब तक दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे, आग बेकाबू हो चुकी थी।
प्रशासन की लापरवाही?
स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया कि इमारत में अग्निशमन उपकरण जैसे फायर एक्सटिंग्विशर या स्प्रिंकलर सिस्टम नहीं थे। इसके अलावा, निकटतम दमकल केंद्र की प्रतिक्रिया में देरी ने हालात को और बदतर बना दिया। एक निवासी ने कहा, “हमने घंटों इंतजार किया, लेकिन कोई रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू नहीं हुआ। अगर समय पर मदद मिलती, तो शायद कुछ जिंदगियां बच सकती थीं।”
सरकार और मीडिया का मौन
इस त्रासदी के बाद दिल्ली सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। न ही पीड़ित परिवारों को तत्काल मुआवजा या सहायता की घोषणा की गई। मीडिया में भी इस घटना को वह कवरेज नहीं मिला, जो इसकी गंभीरता को देखते हुए जरूरी था। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने सवाल उठाया कि क्या दिल्ली जैसे महानगर में अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं इतनी कमजोर हैं कि ऐसी त्रासदियों को रोका नहीं जा सकता?
विपक्ष का रुख
कांग्रेस और आप जैसे विपक्षी दलों ने इस मामले पर सरकार की चुप्पी की आलोचना की है। एक स्थानीय कांग्रेस नेता ने कहा, “यह शर्मनाक है कि राजधानी में इतनी बड़ी त्रासदी पर कोई जवाबदेही नहीं ले रहा। सरकार को तुरंत जांच करानी चाहिए और पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए।”
क्या है रास्ता?
द्वारका की इस त्रासदी ने दिल्ली में अग्निशमन और सुरक्षा मानकों की गंभीर खामियों को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए इमारतों में अग्निशमन उपकरणों को अनिवार्य करना, दमकल सेवाओं को मजबूत करना और आपातकालीन प्रतिक्रिया को तेज करना जरूरी है। प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन पीड़ित परिवार अभी भी जवाब और न्याय की प्रतीक्षा में हैं।