Friday, 13 June 2025

"बोइंग की हकीकत: उडता कोफीन सुरक्षा की अनदेखी, मुनाफे की साजिश"

"बोइंग की हकीकत: उडता कोफीन सुरक्षा की अनदेखी, मुनाफे की साजिश"
"बोइंग की हकीकत: उडता कोफीन सुरक्षा की अनदेखी, मुनाफे की साजिश"
बोइंग, कभी इंजीनियरिंग का प्रतीक, आज कॉर्पोरेट लालच और सुरक्षा लापरवाही का पर्याय बन चुका है। 2018 और 2019 में इंडोनेशिया और इथियोपिया में हुए दो विमान हादसों में 346 लोगों की मौत, अलास्का एयरलाइंस की फ्लाइट का हवा में दरवाजा उखड़ना, और हाल ही में अहमदाबाद में एयर इंडिया की आपातकालीन लैंडिंग—ये सभी घटनाएं बोइंग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं। यह लेख बोइंग की गलतियों और भारत में इसके प्रभावों को उजागर करता है।

बोइंग की आपराधिक लापरवाही
2018 में लायन एयर और 2019 में इथियोपियन एयरलाइंस के बोइंग 737 मैक्स विमानों के हादसों में एक दोषपूर्ण सॉफ्टवेयर (MCAS) जिम्मेदार था, जिसके बारे में पायलटों को जानकारी तक नहीं दी गई। इन हादसों में 346 लोग मारे गए, लेकिन बोइंग ने सच छुपाया और FAA को गुमराह किया। कंपनी ने $2.5 बिलियन का जुर्माना देकर मामला रफा-दफा किया, पर कोई जेल नहीं गया। हाल ही में अलास्का एयरलाइंस की फ्लाइट में दरवाजा पैनल उखड़ने और सुनीता विलियम्स की बोइंग स्टारलाइनर कैप्सूल की विफलता ने बोइंग की गुणवत्ता पर और सवाल उठाए।

व्हिसलब्लोअर की रहस्यमय मौत
बोइंग के खिलाफ 30 से ज्यादा व्हिसलब्लोअर शिकायतें दर्ज हैं। जॉन बार्नेट, एक पूर्व कर्मचारी, जिन्होंने कंपनी की सुरक्षा खामियों को उजागर किया, 2024 में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए। वह उस दिन कोर्ट में गवाही देने वाले थे। यह संयोग नहीं, बल्कि बोइंग की सच्चाई छुपाने की कोशिश का संकेत हो सकता है।

भारत में चुप्पी क्यों?
भारत में बोइंग के सैकड़ों विमान उड़ रहे हैं, लेकिन DGCA की ओर से कोई सख्त ऑडिट या सार्वजनिक सुरक्षा रिपोर्ट नहीं है। हाल ही में अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI379 की आपातकालीन लैंडिंग ने खतरे की घंटी बजाई, लेकिन क्या भारत अपने नागरिकों की जान को मुनाफे के लिए खतरे में डाल रहा है? संसद में इस मुद्दे पर कोई बहस नहीं, कोई जवाबदेही नहीं।

क्या करना चाहिए?
भारत को तत्काल बोइंग के सभी विमानों को ग्राउंड करना चाहिए और तीसरे पक्ष से उनकी तकनीकी जांच करानी चाहिए। एयर इंडिया और अन्य एयरलाइंस के साथ बोइंग के अनुबंधों की संसदीय जांच होनी चाहिए। नागरिकों की जान मुनाफे से ऊपर होनी चाहिए। बोइंग को यह समझना होगा कि भारत में मानव जीवन "रूटीन डिसरप्शन" नहीं है।

निष्कर्ष
बोइंग की बार-बार की लापरवाही और हादसे एक कॉर्पोरेट अपराध की कहानी हैं। 346 लोगों की मौत हो या अहमदाबाद की घटना, ये हादसे नहीं, बल्कि लालच की साजिश हैं। भारत को अब जागना होगा और बोइंग से जवाब मांगना होगा। क्योंकि जो विमान लाशों पर उड़ते हैं, वे इंसानों के सपनों को नहीं, बल्कि डर को हवा देते हैं।