हाल के घटनाक्रमों में, ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे वैश्विक नौवहन और ऊर्जा आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। ईरान की संसद ने सर्वसम्मति से इस जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव का समर्थन किया है, और अब अंतिम निर्णय देश के सर्वोच्च नेता अली खामनेई और सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के हाथ में है।
इसके साथ ही, ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने चेतावनी दी है कि यह रणनीतिक जलमार्ग कुछ ही घंटों में बंद हो सकता है। होर्मुज जलडमरूमध्य, जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ता है, वैश्विक तेल व्यापार का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। दुनिया का लगभग 20% तेल इसी मार्ग से गुजरता है, जिससे इस क्षेत्र में किसी भी व्यवधान का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार, ईरान ने इस क्षेत्र में जीपीएस जैमिंग गतिविधियां शुरू की हैं, जिसके कारण लगभग 970 जहाजों की नेविगेशन प्रणाली प्रभावित हुई है। जहाजों को गलत ऑटोमेटेड आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (AIS) डेटा प्राप्त हो रहा है, जिससे नौवहन में भ्रम और जोखिम बढ़ गया है। यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स (UKMTO) ने फारस की खाड़ी में इस हस्तक्षेप की पुष्टि की है और नाविकों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
यह कदम क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ाने वाला है, विशेष रूप से तब जब मध्य पूर्व में पहले से भूराजनैतिक अस्थिरता बनी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि होर्मुज जलडमरूमध्य का बंद होना वैश्विक तेल कीमतों में उछाल और आपूर्ति शृंखला में व्यवधान पैदा कर सकता है। कई देशों ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है और इस मुदे पर नजर बनाए हुए हैं।
वैश्विक समुदाय अब ईरान के अगले कदम का इंतजार कर रहा है। क्या यह कदम केवल एक रणनीतिक चेतावनी है, या यह क्षेत्र एक नए और गंभीर संकट की ओर बढ़ रहा है? आने वाले दिन इस सवाल का जवाब देंगे।