मोरबी, गुजरात: गुजरात की राजनीति में इन दिनों एक नया ड्रामा देखने को मिल रहा है, जिसमें मोरबी के विधायक कांति अमृतिया और विसावदर के विधायक गोपाल इटालिया के बीच इस्तीफे की चुनौती का खेल चल रहा है। इस राजनीतिक नाटक ने मोरबी की जनता सहित पूरे राज्य का ध्यान खींचा है, लेकिन इस खेल में कांति भाई की चाल नाकाम रही, जबकि गोपाल इटालिया ने अपनी राजनीतिक चतुराई से बाजी मार ली।
इस्तीफे का हाईवोल्टेज ड्रामा
गुजरात की राजनीति में चर्चा का विषय बनी यह घटना तब शुरू हुई जब कांति अमृतिया ने गोपाल इटालिया को मोरबी में उपचुनाव लड़ने की चुनौती दी। कांति भाई ने दावा किया था कि वे इस्तीफा देकर गोपाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। लेकिन इस चुनौती के जवाब में गोपाल ने चतुराई से कहा कि अगर कांति भाई इस्तीफा देंगे, तभी वे विसावदर से इस्तीफा देंगे। इस चुनौती ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया। 12 जुलाई को कांति भाई गाड़ियों के काफिले के साथ गांधीनगर इस्तीफा देने पहुंचे, लेकिन गोपाल ने साफ कर दिया कि वे इस्तीफा देने गांधीनगर नहीं जाएंगे।
कांति भाई की चाल नाकाम
कांति अमृतिया का यह राजनीतिक दांव जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में महज एक ड्रामा बनकर रह गया। एक तरफ वे गांधीनगर पहुंचे, लेकिन इस्तीफे की बात पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। दूसरी तरफ, गोपाल इटालिया ने इस चुनौती को हल्के में लेते हुए जनता के कामों पर ध्यान केंद्रित किया। एक्स पर एक पोस्ट में दावा किया गया कि गोपाल विसावदर में पानी की समस्या जैसे जनहित के कामों में व्यस्त हैं, जबकि कांति भाई ऐसे कार्यों में रुचि नहीं दिखा रहे। इस घटना ने साफ कर दिया कि कांति भाई का खेल जनता की नजर में नाकाम रहा।
गोपाल की राजनीतिक चतुराई
आम आदमी पार्टी के नेता के रूप में विसावदर से चुने गए गोपाल इटालिया ने इस स्थिति में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत रखी। उन्होंने न तो इस्तीफा दिया और न ही गांधीनगर जाकर इस ड्रामे में हिस्सा लिया। इसके बजाय, उन्होंने जनता के मुद्दों पर ध्यान देकर अपनी छवि एक जनहितैषी नेता के रूप में बनाई। एक्स पर एक पोस्ट में यह भी कहा गया कि गोपाल ने इस चुनौती को हल्के में लेकर कांति भाई की राजनीतिक चाल को नाकाम कर दिया।
भाजपा की मुश्किल और जनता का रोष
गुजरात विधानसभा में भाजपा के 156 विधायक होने के बावजूद, इस घटना ने पार्टी के भीतर की राजनीतिक गतिविधियों पर सवाल उठाए हैं। मोरबी की जनता, जो कांति अमृतिया से इस्तीफे और उपचुनाव की उम्मीद कर रही थी, उनकी निराशा साफ दिखी। एक्स पर चर्चाओं में यह भी कहा गया कि कांति भाई का इस्तीफा न देना एक राजनीतिक चाल थी, जो जनता की नजर में नाकाम साबित हुई।
ब्रह्मांड के दर्शन
इस घटना ने गोपाल इटालिया को राजनीतिक रूप से और मजबूत किया है। एक्स पर एक पोस्ट में कहा गया कि गोपाल ने भाजपा के 156 विधायकों को "ब्रह्मांड के दर्शन" करा दिए, यानी उन्होंने भाजपा की राजनीतिक चाल को पूरी तरह नाकाम कर दिया।