गुजरात की राजनीति में एक नया रंग चढ़ा है, जहां गोपाल ने भाजपा की हर चाल को नाकाम कर दिया है! इस्तीफा दो और दो करोड़ लो जैसी अफवाहों से लेकर विधायक पद की शपथ लेने से पहले ही ‘तलाक’ की चर्चाओं तक, गोपाल ने सबको हैरान कर दिया है। इस नाटक में गोपाल ऐसा ‘पक्का गोपाल’ बन गया है, जो न तो बिकता है और न ही किसी के हाथों में खेलता है! भाजपा पर आरोप लगे कि उन्होंने गोपाल को लुभाने के लिए रुपये का लालच दिया, लेकिन गोपाल ने इस ऑफर को धूल में मिला दिया। इतना ही नहीं, राजनीतिक षड्यंत्रों की ‘शादी’ की बातें भी शुरू हुईं, लेकिन गोपाल ने शपथ लेने से पहले ही ऐसी चालों को ‘तलाक’ दे दिया। इस सब में गोपाल ने एक बात साफ कर दी है कि वह न तो पैसों से खरीदा जाएगा और न ही राजनीतिक दबाव में झुकेगा। इस घटना ने गुजरात की राजनीति में नया मोड़ ला दिया है। एक तरफ भाजपा की रणनीति फेल हो गई, तो दूसरी तरफ गोपाल ने अपनी निष्ठा और दृढ़ता का परिचय दिया। राजनीतिक गलियारों में अब चर्चा है कि यह ‘टनाटन गोपाल’ आगे जाकर कईयों को ‘ठनठन’ बना देगा! आगे क्या होगा? क्या गोपाल की यह अडिग नीति राजनीति में नया ट्रेंड बनाएगी? या फिर इस नाटक में अभी कोई नया ट्विस्ट आएगा? आइए, आगे-आगे देखें क्या होता है!
गोपाल ने उलट दी भाजपा की सारी चाल: इस्तीफा, रुपये या राजनीति, कोई नहीं खरीद सका ‘पक्का गोपाल’!