परिचय मुअम्मर गद्दाफी, जिन्हें कर्नल गद्दाफी के नाम से जाना जाता है, ने 1969 से 2011 तक लीबिया पर शासन किया। उनके शासन का अंत अरब स्प्रिंग की लहर, आंतरिक विद्रोह, और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के कारण हुआ। यह लेख गद्दाफी के उदय, शासन, और 2011 में उनके तख्ता पलट की सच्चाई को विस्तार से बताता है, जिसमें तथ्य, विवाद, और लीबिया की वर्तमान स्थिति शामिल है।
गद्दाफी का उदय: 1969 का तख्ता पलट मुअम्मर गद्दाफी का जन्म 1942 में सिर्ते, लीबिया में एक खानाबदोश बेदुईन परिवार में हुआ। मिस्र के गमाल अब्देल नासिर से प्रेरित होकर, उन्होंने सेना में शामिल होने के बाद "फ्री ऑफिसर्स" नामक गुप्त समूह बनाया। 1 सितंबर 1969 को, 27 साल की उम्र में, गद्दाफी ने "ऑपरेशन जेरूसलम" के तहत राजा इदरीस की राजशाही को उखाड़ फेंका। यह रक्तहीन तख्ता पलट था, जिसमें बेनगाजी और त्रिपोली के प्रमुख सैन्य ठिकानों पर कब्जा किया गया। गद्दाफी ने विदेशी सैन्य अड्डों को बंद किया, तेल उद्योग का राष्ट्रीयकरण शुरू किया, और इस्लामी समाजवाद को बढ़ावा दिया। उनकी शुरुआती नीतियों ने उन्हें कई लीबियाई लोगों का नायक बनाया, क्योंकि उन्होंने विदेशी शोषण को कम किया और तेल की आय को सामाजिक कल्याण में लगाया।
गद्दाफी का शासन: उपलब्धियाँ और विवाद गद्दाफी ने अपने 42 साल के शासन को "जमहीरिया" (जनता का शासन) कहा, लेकिन वास्तव में यह तानाशाही थी। उनके शासन के दो पहलू थे:
उपलब्धियाँ तेल का राष्ट्रीयकरण
गद्दाफी ने विदेशी तेल कंपनियों पर नियंत्रण हटाकर लीबिया की आय बढ़ाई, जिससे मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, और आवास जैसी योजनाएँ शुरू हुईं। -
सामाजिक सुधार
उनकी नीतियों ने लीबिया को अफ्रीका के सबसे समृद्ध देशों में से एक बनाया, जहाँ प्रति व्यक्ति आय ऊँची थी। -
अफ्रीकी एकता
गद्दाफी ने अफ्रीकी देशों के लिए स्वतंत्र मुद्रा (सोने पर आधारित दीनार) की वकालत की, जिसे पश्चिमी देशों ने खतरा माना।
विवाद और तानाशाही
गद्दाफी ने विरोधियों का क्रूर दमन किया। 1996 में अबू सलीम जेल में लगभग 1200 कैदियों की हत्या इसका उदाहरण है। - उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन दिया, जैसे 1988 का लॉकरबी बम विस्फोट, जिसके लिए पश्चिमी देशों ने उन्हें जिम्मेदार ठहराया। - उनकी सनक, जैसे महिला अंगरक्षक और विलासितापूर्ण जीवनशैली, ने उनकी छवि को नुकसान पहुँचाया।
2011 की क्रांति: अरब स्प्रिंग और गद्दाफी का पतन 2011 में अरब स्प्रिंग की लहर ट्यूनीशिया से शुरू होकर लीबिया पहुँची। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, और तानाशाही के खिलाफ बेनगाजी में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, जो जल्द ही गृहयुद्ध में बदल गए।
आंतरिक विद्रोह
फरवरी 2011 में बेनगाजी में प्रदर्शनकारियों ने गद्दाफी के खिलाफ हथियार उठाए। गद्दाफी ने उन्हें "चूहे" कहकर धमकी दी और सैन्य कार्रवाई शुरू की। - विद्रोहियों ने राष्ट्रीय संक्रमणकालीन परिषद (NTC) बनाया, जो गद्दाफी के खिलाफ एकजुट हुआ।
अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप
संयुक्त राष्ट्र ने मार्च 2011 में नो-फ्लाई जोन लागू किया, ताकि गद्दाफी की सेना नागरिकों पर हमला न कर सके। - नाटो (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस) ने हवाई हमले शुरू किए, जो विद्रोहियों को समर्थन देने के लिए थे। कुछ का मानना है कि यह हस्तक्षेप तेल संसाधनों पर नियंत्रण और गद्दाफी की स्वतंत्र मुद्रा योजना को रोकने के लिए था। - पूर्व अमेरिकी सांसद कर्ट वेल्डन ने दावा किया कि गद्दाफी ने इस्तीफा देने की पेशकश की थी, लेकिन अमेरिका ने इसे ठुकराकर उनकी हत्या की योजना बनाई।
गद्दाफी की मृत्यु
20 अक्टूबर 2011 को, गद्दाफी अपने गृहनगर सिर्ते में छिपे थे। नाटो के हवाई हमले ने उनके काफिले को निशाना बनाया। विद्रोहियों ने उन्हें पकड़ा, पीटा, और संभवतः गोली मार दी। उनकी मृत्यु को अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के रूप में देखा गया।
गद्दाफी के बाद लीबिया गद्दाफी की मृत्यु के बाद लीबिया अस्थिरता में डूब गया। NTC और बाद की सरकारें देश को एकजुट करने में विफल रहीं। तेल संसाधनों पर नियंत्रण के लिए विभिन्न गुटों में संघर्ष बढ़ा। आज लीबिया में गृहयुद्ध और अशांति का माहौल है। कुछ लोगों का मानना है कि गद्दाफी के शासन में लीबिया की स्थिति बेहतर थी, जबकि अन्य इसे तानाशाही का अंत मानते हैं।
विवाद और दृष्टिकोण -
समर्थकों का दृष्टिकोण
गद्दाफी को एक दूरदर्शी नेता माना जाता है, जिसने लीबिया को विदेशी शोषण से बचाया और अफ्रीकी एकता को बढ़ावा दिया। -
विरोधियों का दृष्टिकोण
गद्दाफी एक क्रूर तानाशाह थे, जिन्होंने आतंकवाद को समर्थन दिया और लीबिया को सनक से चलाया। -
षड्यंत्र सिद्धांत
कुछ X पोस्ट्स और स्रोत दावा करते हैं कि गद्दाफी का पतन पश्चिमी देशों की साजिश थी, ताकि लीबिया के तेल पर नियंत्रण और उनकी मुद्रा योजना को रोका जा सके। ### निष्कर्ष मुअम्मर गद्दाफी का तख्ता पलट 1969 में एक प्रगतिशील क्रांति के रूप में शुरू हुआ, लेकिन 2011 में अरब स्प्रिंग और नाटो के हस्तक्षेप ने उनके शासन का अंत कर दिया। उनकी मृत्यु और लीबिया की वर्तमान अस्थिरता ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या यह जनता की जीत थी, या पश्चिमी देशों की भू-राजनीतिक साजिश? गद्दाफी की कहानी आज भी इतिहासकारों और विश्लेषकों के लिए एक जटिल पहेली बनी हुई है।