ढाका, बांग्लादेश: बांग्लादेश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के.एम. नुरुल हुदा को उनके कार्यकाल (2017-2022) के दौरान 2014, 2018 और 2024 के आम चुनावों में कथित धांधली के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी से पहले, ढाका के उत्तरा इलाके में गुस्साई भीड़ ने हुदा पर हमला किया, उन्हें जूतों से पीटा, जूतों की माला पहनाई और अंडे फेंके। यह घटना बांग्लादेश में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और जनता के गुस्से का प्रतीक बन गई है।
धांधली के आरोप और जनता का गुस्सा
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने नुरुल हुदा समेत 19 लोगों, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शामिल हैं, के खिलाफ 2014, 2018 और 2024 के चुनावों में जनादेश के बिना हेराफेरी करने का मामला दर्ज कराया। बीएनपी का आरोप है कि हुदा के नेतृत्व में हुए इन चुनावों में शेख हसीना की अवामी लीग को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। जनता का मानना है कि इन चुनावों में व्यापक धांधली हुई, जिसके चलते उनका गुस्सा हुदा पर फूटा।
भीड़ का हमला और पुलिस की कार्रवाई
रविवार, 22 जून 2025 को, ढाका के उत्तरा इलाके में हुदा के आवास पर भीड़ ने धावा बोला। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में लोग हुदा को जूतों से पीटते, गालियां देते और अंडे फेंकते नजर आए। पुलिस के पहुंचने के बाद भी भीड़ का हमला जारी रहा। ढाका महानगर पुलिस के उपायुक्त मोहिदुल इस्लाम ने बताया कि हुदा को बीएनपी द्वारा दर्ज मामले में गिरफ्तार किया गया। उत्तरा पश्चिम पुलिस स्टेशन के प्रमुख हफीजुर रहमान ने कहा, "हमें सूचना मिली थी कि भीड़ ने हुदा को घेर लिया है। हमने मौके पर पहुंचकर उन्हें हिरासत में लिया।" हुदा को सोमवार को अदालत में पेश किया जाएगा।
लोकतंत्र पर सवाल और अंतरिम सरकार की प्रतिक्रिया
इस घटना ने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक व्यवस्था और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। नुरुल हुदा की गिरफ्तारी को देश में पहली बार किसी पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनावी धांधली के आरोप में हिरासत में लिए जाने की घटना माना जा रहा है। मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेने की निंदा की और नागरिकों से संयम बरतने की अपील की। सरकार ने बयान जारी कर कहा, "ऐसी अराजकता और हिंसा अस्वीकार्य है। दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"
राजनीतिक अस्थिरता का दौर
पिछले साल अगस्त में छात्र आंदोलनों के बाद शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ, जिसके बाद वे भारत भाग गईं। अवामी लीग के कई नेता और अधिकारी या तो गिरफ्तार हुए या देश छोड़कर भाग गए। नुरुल हुदा पर हमला और उनकी गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि जनता का गुस्सा अभी भी पुराने सत्ता तंत्र से जुड़े लोगों पर केंद्रित है। यह घटना बांग्लादेश की राजनीति में गहरे अविश्वास और अस्थिरता को दर्शाती है। **लोकतंत्र का सबक** नुरुल हुदा की गिरफ्तारी और जनता का आक्रोश इस बात का उदाहरण है कि लोकतंत्र में धांधली का मौका तो मिल सकता है, लेकिन जनता को भी अपने गुस्से और अधिकारों का इस्तेमाल करने का अवसर मिलता है। बांग्लादेश की यह घटना अन्य देशों के लिए भी एक चेतावनी है कि लोकतांत्रिक संस्थाओं में पारदर्शिता और विश्वास की कमी गंभीर परिणाम भुगतने का कारण बन सकती है।