अमेरिका में एंटी-इंडियन हेट स्पीच की लहर के बाद अब यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों पर विरोध तेज हो रहा है। आंकड़ों से साफ है कि 2025 में दक्षिण एशियाई मूल के खिलाफ घृणा अपराधों में 4% की बढ़ोतरी हुई है, जहां भारतीयों को 'जॉब स्नैचर्स' और 'कल्चरल रिप्लेसमेंट' का दोषी ठहराया जा रहा है। सेंटर फॉर स्टडी ऑफ ऑर्गनाइज्ड हेट की रिपोर्ट बताती है कि एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जुलाई-सितंबर 2025 में एंटी-इंडियन पोस्ट्स में वैश्विक फार-राइट ट्रेंड्स का असर दिखा, जो यूरोप से ऑस्ट्रेलिया तक फैल रहा है। यूरोप में यह विरोध आर्थिक मंदी और दक्षिणपंथी उभार से जुड़ा है। आयरलैंड में 2025 में 676 घृणा अपराध दर्ज हुए, जिनमें भारतीय नर्सों और आईटी वर्कर्स पर हमले बढ़े। दिसंबर 2024 में डबलिन में एक भारतीय शेफ लक्ष्मण दास पर 'भारत वापस जाओ' चिल्लाते हुए हमला हुआ, जबकि वाटरफोर्ड में एक 6 साल की भारतीय लड़की को पीटकर 'काली हो, भारत चली जाओ' कहा गया। ग्रीस में पर्यटकों को राष्ट्रीयता बताने पर हंसी उड़ाई जाती है, और जर्मनी में भारतीयों को 'गंदे' या 'नौकरियां चुराने वाले' कहा जाता है। रेडिट पर एक भारतीय प्रवासी ने लिखा, "यूरोप में अब हमारी बड़ी संख्या से दुश्मनी बढ़ गई है – वे हमें अर्थव्यवस्था का बोझ मानते हैं।" यूरोपीय संसद की रिपोर्ट कहती है कि बेरोजगारी (7-10%) और अफगानिस्तान-सीरिया जैसे संकटों से प्रवासियों पर गुस्सा फूट रहा,
जहां दक्षिणपंथी पार्टियां जैसे जर्मनी की AfD भारतीयों को निशाना बना रही हैं। ऑस्ट्रेलिया में स्थिति और तीखी है। अगस्त 2025 के 'मार्च फॉर ऑस्ट्रेलिया' रैलियों में भारतीयों को खुलेआम टारगेट किया गया – फ्लायर्स में लिखा, "5 साल में जितने भारतीय आए, उतने ग्रीक-इटालियन 100 सालों में नहीं। यह रिप्लेसमेंट है!" सिडनी, मेलबर्न और ब्रिस्बेन में हजारों ने हिस्सा लिया, जहां फार-राइट सीनेटर पॉलिन हैंसन ने समर्थन दिया। इसके बाद भारतीय महिलाओं पर ट्रेन में हमले बढ़े – एक को मुक्के मारे, बीयर उछाली गई। हिंदू काउंसिल ऑफ ऑस्ट्रेलिया ने स्पेशल एंवॉय की मांग की, क्योंकि 8.4 लाख भारतीय (जनसंख्या का 3.2%) अब 'आर्थिक बोझ' कहलाने लगे।
एबीसी न्यूज की रिपोर्ट कहती है कि हाउसिंग क्राइसिस और माइग्रेशन डिबेट में टिकटॉक-इंस्टाग्राम पर एंटी-इंडियन वीडियोज वायरल हो रहे, जहां उन्हें 'स्वैम्पिंग' का दोषी ठहराया जा रहा। कारण गहरे हैं: वैश्विक फार-राइट रिजर्जेंस, जहां एलन मस्क जैसे फिगर्स एंटी-माइग्रेंट सेंटिमेंट को फ्यूल देते हैं। पीडब्ल्यू रिसर्च के अनुसार, 24 देशों में भारत की छवि 47% फेवरेबल है, लेकिन 38% निगेटिव – यूरोप-एशिया में मीडिया भारत की चुनौतियों को हाइलाइट करता है। ऑस्ट्रेलिया में माइनिंग बूम के बाद आईटी-हेल्थ सेक्टर में भारतीयों की बढ़त से लोकल बेरोजगारी का गुस्सा फूटा। विशेषज्ञ कहते हैं, "यह अमेरिका का बумеरैंग है – MAGA रेटोरिक अब यहां कॉपी हो रहा।" फिर भी, पूरी तस्वीर काली नहीं। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने रैलियों की निंदा की, कहते हुए "रेसिज्म का कोई स्थान नहीं।" यूरोप में नीदरलैंड्स जैसे देश कम होस्टाइल हैं। लेकिन भारतीय डायस्पोरा को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी – वोटिंग, कम्युनिटी बिल्डिंग से। अगर समय रहते कदम न उठाए, तो यह लहर लाखों भारतीयों की जिंदगियां बर्बाद कर देगी।