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Tuesday, 7 October 2025

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर भारत की नजर: क्या जल्द होगा अधूरे कश्मीर का सपना पूरा?

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर भारत की नजर: क्या जल्द होगा अधूरे कश्मीर का सपना पूरा?
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर भारत में उत्साह चरम पर है। कई लोग मानते हैं कि PoK पर कब्जा कर भारत जल्द ही अपने अधूरे कश्मीर के सपने को साकार कर लेगा। 1947 के बाद से PoK की तस्वीर काफी बदल चुकी है। आज यह क्षेत्र केवल 13,000 वर्ग किलोमीटर का भूभाग नहीं, बल्कि आर्थिक और बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। इस क्षेत्र में चीन के भारी-भरकम निवेश ने इसे और भी आकर्षक बना दिया है।

 PoK का बदला हुआ स्वरूप

 PoK अब केवल पहाड़ी इलाका नहीं रहा। इसके 350 किलोमीटर के मैदानी क्षेत्र में आधुनिक बुनियादी ढांचा, सड़कें, और पावर प्लांट मौजूद हैं। चीन ने अपने महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के तहत PoK में 14 बड़े प्रोजेक्ट्स में 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। इसके अलावा, 2020-21 के बीच पाकिस्तान में चीन का कुल निवेश 70.3 बिलियन डॉलर रहा। पाकिस्तान दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है जहां चीन ने सबसे अधिक पूंजी लगाई है। इन निवेशों में बांध, सड़कें, और ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं, जो PoK को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाते हैं। 

भारत के लिए अवसर  

यदि भारत PoK पर नियंत्रण हासिल करता है, तो यह न केवल सामरिक बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी एक बड़ी उपलब्धि होगी। विशाल बुनियादी ढांचा, पावर प्लांट, और अन्य परियोजनाएं भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती हैं। कई लोग यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि इन परियोजनाओं का प्रबंधन शायद भारत के बड़े औद्योगिक समूहों, जैसे अडाणी समूह, के हाथों में आ सकता है। 

क्यों हो रही है देरी?

 भारतीय जनमानस में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर सरकार इस दिशा में तेजी क्यों नहीं दिखा रही? PoK पर कब्जे की चर्चा भले ही जोरों पर हो, लेकिन यह एक जटिल भू-राजनीतिक और सामरिक मुद्दा है। चीन और पाकिस्तान के बीच गहरे आर्थिक और सैन्य संबंध इस प्रक्रिया को और जटिल बनाते हैं। फिर भी, भारतीयों का उत्साह और विश्वास दर्शाता है कि PoK को लेकर देश का सपना अब पहले से कहीं अधिक जीवंत है। 

PoK पर कब्जे का सपना केवल क्षेत्रीय अखंडता का सवाल नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि और सामरिक श्रेष्ठता का भी प्रतीक है। हालांकि, इस दिशा में कदम उठाने से पहले भारत को कई चुनौतियों का सामना करना होगा। लेकिन अगर यह सपना साकार होता है, तो यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।