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Thursday, 18 August 2022

गोधरा से बीजेपी विधायक ने दोषियों की रिहाई से जोड़ा 'ब्राह्मण संस्कार'

गोधरा से बीजेपी विधायक ने दोषियों की रिहाई से जोड़ा 'ब्राह्मण संस्कार'
गोधरा से बीजेपी के विधायक सी के राउलजी ने बिलकिस बानो केस में दोषियों की रिहाई के मामले पर टिप्पणी की है.
एक यू-ट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में राउलजी ने कहा कि ये फैसला दोषियों के पुराने व्यवहार, जेल में उनके व्यवहार, उनके परिवार की गतिविधियों और व्यवहार को देखते हुए लिया गया है.
उन्होंने कहा, "साथ ही वे ब्राह्मण लोग थे, वैसे भी ब्राह्मण लोगों के संस्कार बहुत अच्छे होते हैं, ये सब देखते हुए लिया गया है.”
विधायक सी के राउलजी उस समिति के सदस्य भी रहे हैं जिसे गुजरात सरकार ने इस मामले के तहत गठित किया था. इस समिति ने ही कुछ महीने पहले मामले के सभी 11 दोषियों को रिहा करने के पक्ष में एकमत से फ़ैसला लिया था. समिति ने राज्य सरकार को सिफ़ारिश भेजी थी, जिसके बाद गैंगरेप के सभी 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई संभव हो पाई.
ये रिहाई 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन दी गई. वे सभी गोधरा उप जेल में बंद थे.

इंटरव्यू में राउलजी ने बताते हैं, “साल 2002 का जो मामला था या बिलकिस बानो कौन हैं, इसके बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था. मुझे सरकार की ओर से बोला गया था कि सुप्रीम कोर्ट की जो गाइडलाइन है, यह कमेटी उसी आधार पर बनाई गई है.”
राउलजी ने कहा कि हमने देखा कि मामले में 11 दोषियों का जेल में व्यवहार कैसा रहा. हमने इस संबंध में जेलर से भी बात की और जानकारी ली.
उन्होंने कहा, “जेलर ने भी उनके बारे में कुछ ऐसा नहीं बताया जिससे ये पता चले कि उन लोगों ने जेल में कुछ दंगा-फ़साद जैसा किया हो.”
इंटरव्यू के दौरान सवाल किया गया, "लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से एक बयान में कहा गया था कि रेप के और चरमपंथ के मामलों में पूरी सख़्ती के साथ निपटा जाएगा. तो क्या ऐसे में इन दोषियों को रिहा कर देना, अपने ही बयान को काटना नहीं है?"
इस पर गोधरा के विधायक राउलजी ने कहा कि उन्हें इस बारे कुछ नहीं पता है लेकिन दोषियों का जेल के अंदर जो बर्ताव था उसे देखकर फैसला लिया गया है. उनके परिवार वाले बिल्कुल शांत और ईमानदार आदमी हैं.
वह आगे कहते हैं, “वैसे भी कई बार लोगों को गुनाह में फंसाने जैसी बातें आती हैं, क्योंकि सांप्रदायिक मामलों में कई बार मासूम लोगों को भी फंसाया जाता है. वैसे भी आकस्मिक तौर पर जो हुआ, वो सांप्रदायिक नफ़रत से भी प्रेरित हो सकता है. और उन्हें इस गुनाह में फंसाने का बद-इरादा भी हो सकता है.”
वह कहते हैं कि अपराध किया गया है या नहीं किया गया है, इस बारे में मुझे पता नहीं है लेकिन यह जानबूझकर लगाया गया आरोप भी हो सकता है.
कोर्ट ने भी जो अभी तय किया है, वो सोच-समझकर ही तय किया होगा.