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Friday, 19 August 2022

वक्त वक्त की बात है जिसके लिए कभी पार्टी संविधान बदला गया, वो आज संसदीय बोर्ड से बाहर क्यों?

वक्त वक्त की बात है जिसके लिए कभी पार्टी संविधान बदला गया, वो आज संसदीय बोर्ड से बाहर क्यों?
एक व़क्त था जब नितिन गडकरी को बीजेपी के अध्यक्ष पद पर दोबारा चुने जाने के लिए पार्टी के संविधान तक को संशोधित कर दिया गया था और अब एक आज का व़क्त है, जब उन्हें न तो पार्टी की नव गठित संसदीय बोर्ड और न ही केंद्रीय चुनाव समिति का हिस्सा बनाया गया है.

बीजेपी ने बुधवार को जब अपने नए संसदीय बोर्ड के सदस्यों की लिस्ट जारी की तो हमेशा अपनी ही पार्टी को आड़े हाथों लेने वाले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर कहा, ''जनता पार्टी औ फिर बीजेपी के शुरुआती दिनों में, पदाधिकारियों के पदों की भर्ती के लिए पार्टी और संसदीय दल के चुनाव होते थे. पार्टी संविधान के अनुसार यही होना चाहिए, लेकिन आज बीजेपी में कोई चुनाव नहीं होते. हर नामांकित पद के लिए मोदी की मंज़ूरी की ज़रूरत होती है.''

एनसीपी के प्रवक्ता क्लाई क्रास्टो ने भी बीजेपी पर तंज़ कसते हुए कहा कि नितिन गडकरी को बीजेपी के संसदीय बोर्ड में शामिल नहीं करना, ये दर्शाता है कि एक राजनेता के रूप में उनका क़द काफ़ी बढ गया है.

''जब आपकी योग्यता और क्षमताएं बढ़ती हैं और आप उच्च पद के लिए चुनौती पेश करते हैं तो BJP आपके क़द को छोटा कर देती है.''