अमेरिकी विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बुधवार को एलान किया है कि वाशिंग्टन ने प्रतिबंधों के समाप्त करने के संबंध में ईरानी प्रस्ताव का जवाब यूरोपीय संघ को दे दिया है।
उन्होंने कहा कि हमने ईरानी प्रस्ताव की समीक्षा पूरी कर ली है और हमने आज यूरोपीय संघ को जवाब भी दे दिया।
ईरानी विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने भी इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिकी प्रस्तावों की गहन समीक्षा आरंभ हो गयी है और इस्लामी गणतंत्र ईरान अमेरिकी दृष्टिकोण व प्रस्ताव की समीक्षा पूरी जाने के बाद अपने जवाब का एलान करेगा। अमेरिका की ओर से प्रस्ताव एसी स्थिति में पेश किये जा रहे हैं जब इस देश के वरिष्ठ अधिकारी यथावत ईरान पर निराधार आरोप मढ़ते रहते हैं।
आज गुरूवार की सुबह व्वाइट हाउस के प्रवक्ता ने एक प्रेस कांफ्रेन्स में कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस बात की पुष्टि की है कि वह ईरान को परमाणु हथियारों की प्राप्ति से रोकना चाहते हैं। साथ ही व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम के बारे में अपने घिसे पिटे दावों को दोहराते हुए कहा कि हमारे लिए बेहतरीन रास्ता डिप्लोमैसी है और हमें यह देखना चाहिये कि समझौता होता है या नहीं।
इससे पहले अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के समन्वयकर्ता जान कर्बी ने यह बात स्वीकार की थी कि वर्ष 2018 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जो एक पक्षीय रूप से परमाणु समझौते से निकल गये थे वह अमेरिका के अलग- थलग पड़ने का कारण बना। साथ ही उन्होंने भी ईरान पर निराधार आरोप मढ़ा था कि ईरान परमाणु समझौते के प्रति पूरी तरह कटिबद्ध नहीं था और अमेरिका परमाणु समझौते को जीवित करने के प्रति वचनबद्ध है।
यह बात पूरी तरह स्पष्ट है और इसे सब लोग जानते हैं कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और इस बात की पुष्टि परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी IAEA ने बारमबार की अपनी रिपोर्टों में की है। यही नहीं खुद अमेरिका, पश्चिमी और यूरोपीय देश भी बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है फिर वे भी इस कार्यक्रम के खिलाफ निराधार दावे करते रहते हैं। इसका एक कारण वे ईरान की प्रगति के मार्ग में बाधायें उत्पन्न करना चाहते हैं।
अमेरिका, पश्चिमी व यूरोपीय देश इस बात को बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि जब इतने प्रतिबंधों के बावजूद ईरान ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु तकनीक हासिल कर ली है तो अगर उसके रास्ते में बाधायें उत्पन्न न की गयीं तो वह दिन अधिक दूर नहीं है जब वह इस तकनीक में भी पूरी आत्म निर्भर हो जायेगा। दूसरे शब्दों में परमाणु तकनीक दुनिया की जटिलतम तकनीकों में से एक है और यह तकनीक दुनिया के कुछ ही देशों के पास है जिनमें से एक ईरान है।
अमेरिकी अधिकारी जो यह कहते हैं कि ईरान परमाणु समझौते के प्रति पूरी तरह कटिबद्ध नहीं रहा है तो उनके दावे में इस बिन्दु पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी है और यह वह है कि यह बात उस देश के अधिकारी कहते हैं जो न केवल परमाणु समझौते के प्रति वचनबद्ध नहीं रहा बल्कि एक पक्षीय रूप से अंतरराष्ट्रीय समझौते से निकल गया यानी परमाणु समझौते का उल्लंघन किया।
साराशं यह कि अगर अमेरिका और यूरोपीय देश परमाणु समझौते के प्रति कटिबद्ध होते तो इस समय प्रतिबंधों को समाप्त करने के संबंध में जो वार्ता हो रही है उसकी ज़रूरत ही पेश न आती। MM