लेबनान के नए प्रधान मंत्री के रूप में नजीब मिकाती को पेश किए हुए दो महीने से अधिक समय बीत चुका है लेकिन इसके बावजूद इस देश में राजनीतिक स्थिति अभी भी अनिश्चित है विशेषकर कैबिनेट गठन के मुद्दे पर पर गतिरोध यथावत जारी है।
लेबनान में राजनीतिक गतिरोध हालिया महीनों से संबंधित नहीं है, लेकिन इस स्थिति को लगभग 3 साल बीत चुके हैं। यह अक्तूबर 2019 की बात है कि जब साद हरीरी की सरकार के विरुद्ध लोग सड़कों पर उतरे और उन्होंने सरकार से त्यागपत्र देने की मांग कर दी। प्रदर्शनों के तेज़ होने के साथ ही साद हरीरी ने लेबनान के प्रधान मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया ताकि वह इस देश की गंभीर चुनौतियों के लिए ज़िम्मेदार न हो। उन्होंने पद से त्याग पत्र तो दे दिया लेकिन देश आर्थिक क्षेत्र में में धरातल में पहुंच गया और आंतरिक रूप से देश दो हिस्सों में विभाजित नज़र आया।
इस इस्तीफ़े के बाद लेबनान ने बहुत ही कम ख़ुशी के दिन देखे। हसन दय्याब की कैबिनेट ने साद हरीरी की कैबिनेट की जगह ले ली लेकिन बार-बार खड़ी की जा रही समस्याओं और चुनौतियों के बाद विशेषकर साद हरीरी के समर्थकों ने मानो उनका हाथ ही बांध दिया हो और उन्हें काम ही नहीं करने दे रहे हैं। 4 अगस्त को बैरूत बंदरगाह में विस्फोट ने जिसमें 6,000 से अधिक लोग मारे गए और घायल हुए ने इस कैबिनेट को बहुत बड़ा झटका दिया और लेबनान एक बार फिर अंतरिम सरकार के दौर में पहुंच गया। अक्तूबर 2021 में नए अंतरिम प्रधान मंत्री के रूप में नजीब मीक़ाती की नियुक्ति तक हसन दय्याब की अंतरिम सरकार काम करती रही।
मीक़ाती मई में लेबनान में नए संसदीय चुनाव आयोजित कराने में कामयाब रहे और बाद में उन्हें नए प्रधान मंत्री के रूप में नामित किया गया, लेकिन कई महीने बीत चुके हैं और नई सरकार अभी तक नहीं बनी है।
लेबनान का राजनीतिक माहौल ऐसा है कि जाहिर तौर पर 14 मार्च धड़े के करीब की राजनीतिक धाराएं नई कैबिनेट नहीं बनाना चाहती हैं क्योंकि वे मिशेल औन के राष्ट्रपति पद को ख़त्म करने और नए राष्ट्रपति के साथ एक नया कैबिनेट बनाने की कोशिश कर रही हैं।
राष्ट्रपति मिशेल औन का राष्ट्रपति कार्यकाल अक्तूबर के महीने में ख़त्म हो जाएगा।
ऐसा लगता है कि नई लेबनानी कैबिनेट के गठन में मुख्य समस्या राजनीतिक धाराओं के मंत्रियों के हित हैं। ऊर्जा और गृहमंत्रालय जैसे मंत्रालय उन विवादित मंत्रालयों में से हैं जिन्हें हर धड़ा अपने हाथ में लेने की कोशिश करता है। नई कैबिनेट बनाने की चुनौती यह है कि इससे पहले साद हरीरी भी करीब एक साल तक कैबिनेट बनाने में नाकाम रहे और उनकी जगह मीक़ाती ने ले ली। इसलिए मंत्रिमंडल के गठन में गतिरोध का जारी रहना दर्शाता है कि लेबनान में खाई बढ़ती जा रही है।
अहम बात यह है कि लेबनान छोटा देश होने के बावजूद पश्चिम एशियाई क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण देश है। इसलिए, इस देश में विदेशी हस्तक्षेप की मात्रा भी उच्च स्तर पर है। अमरीका और सउदी अरब उन देशों में शामिल हैं जो कैबिनेट के गठन सहित लेबनान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं जबकि लेबनान अपनी सबसे ख़राब आर्थिक स्थितियों का सामना कर रहा है और अमरीका इस देश के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों को ख़त्म करने को तैयार नहीं है क्योंकि उसका यह मानना है कि प्रतिबंध हिज़्बुल्लाह के खिलाफ एक हथकंडा है। (AK)