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Thursday, 18 August 2022

ताइवान में अपना दूत नियुक्त कर दिया

ताइवान में अपना दूत नियुक्त कर दिया
अमेरिका की प्रतिनिधि सभा नैंसी पेलोसी की चीन यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंध तनावग्रस्त हैं ऐसी स्थिति में यूरोप के एक छोटे से देश लिथआनिया ने ताइवान के लिए अपना पहला प्रतिनिधि नियुक्त किया है।

प्राप्त समाचारों के अनुसार यूरोप के एक छोटे से देश लिथुआनिया ने एक चीन' नीति को चुनौती देते हुए गुरुवार को ताइवान के लिए अपना पहला प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया।

लिथुआनियाई प्रधान मंत्री इंग्रिडा सिमोनीटे के सलाहकार पॉलियस लुकौस्कस को ताइवान के लिए देश का पहला प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है। ताइवान के अर्थव्यवस्था एवं नवाचार मंत्रालय ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। उनके कामकाज शुरू करने के लिए अगले महीने ताइपे पहुंचने की उम्मीद है।

चीन ताइवान को अपनी भूमि का हिस्सा मानता है और वह ताइवान के साथ किसी भी खुले राजनयिक संबंधों का विरोध करता है। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट समाचार पत्र के अनुसार ताइवान ने कहा है कि वह ताइपे में नवनियुक्त लिथुआनियाई दूत के साथ मिलकर काम करेगा।

चीन के साथ तनाव के बीच ताइवान अपनी क्षमता दिखाने के लिए सैन्य अभ्यास कर रहा है। ताइवान हाल के दिनों में चीन की तरफ से बनाए जा रहे दबाव का विरोध करने के लिए अपनी क्षमता को सैन्य अभ्यास के जरिये प्रदर्शित कर रहा है।

चीन की सेना के जहाजों और लड़ाकू विमानों द्वारा ताइवान के समुद्री और हवाई क्षेत्र में मिसाइलें दागने के कुछ दिनों के बाद दक्षिणपूर्वी काउंटी हुआलीन में बुधवार को ताइवानी सेना ने सैन्य अभ्यास किया। ताइवान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सुन ली-फेंग ने हुआलीन एयरपोर्ट पर कहा कि हम ताइवान के समुद्री और हवाई क्षेत्रों के आसपास कम्युनिस्ट चीन के लगातार सैन्य उकसावे की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं जो क्षेत्रीय शांति को प्रभावित करता है। कम्युनिस्ट चीन के सैन्य अभियान हमें युद्ध के लिए तैयारी के प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करते हैं।

जानकार हल्कों का मानना है कि लिथआनिया के अंदर इस बात की हिम्मत व साहस नहीं है कि वह चीन की इच्छा के खिलाफ ताइवान में अपना दूत नियुक्त कर सके। ऐसा लगता है कि लिथआनिया अमेरिका के इशारे पर ऐसा कर रहा है और अगर चीन ताइवान के खिलाफ कुछ करता है तो अमेरिका को चीन के खिलाफ प्रतिबंध लगाने और दूसरी कार्यवाहियों के लिए उचित बहाना मिल जायेगा और इस तरह वह रूसी के करीबी घटक समझे जाने वाले चीन से भी अपनी दुश्मनी निकाल सकेगा।