चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी लगातार कह रही है कि ‘बांग्लादेशी घुसपैठिए’ यहाँ की आदिवासी महिलाओं से शादी करके उनको मिलने वाले फ़ायदों का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं और उनके नाम की ज़मीन हड़प रहे हैं.
इस तरह के आरोपों पर सरीना कहती हैं, “हमें आदिवासी होने का लाभ दिया जा रहा है, इसलिए हम लोग लाभ ले रहे हैं. मुझे इस अधिकार के तहत मुखिया का चुनाव लड़ने का मौक़ा मिला. इसका हमारी शादी से कोई लेना-देना नहीं है."
उन्होंने कहा, "हमें हमारा जीवन साथी चुनने का अधिकार है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. अफ़वाहों पर इलाक़े में चर्चा होती है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए या मुसलमान आदिवासियों की ज़मीन हड़प रहे हैं लेकिन ज़मीनी स्तर पर आकर आप देख सकते हैं कि इसका कोई असर नहीं है”.
सरीना के पति मोहम्मद एजाज़ कहते हैं, “हमारे यहां बार-बार इस चुनाव में भाजपा बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठा रही है लेकिन उन्हें यहाँ बांग्लादेशी नहीं मिलेंगे”.
वो कहते हैं, “हम एक सच्चे भारतीय हैं और 1927 के भी पहले से हम लोग यहाँ पर हैं. जब अंग्रेजों ने सर्वे किया था, तब से हम लोग यहां पर हैं. उसके बाद भी हम लोगों का नाम बांग्लादेशी घुसपैठियों की सूची में डाल रहे हैं. चुनाव में भाजपा के पास कोई और मुद्दा नहीं है.''