उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में वक़्फ़ संशोधन बिल के ख़िलाफ़ ईद और जुमे की नमाज़ के दौरान काली पट्टी बांधकर विरोध जताने वालों पर ज़िला प्रशासन ने सख़्ती दिखाई है.
प्रशासन ने सैकड़ों लोगों को नोटिस जारी कर शांति भंग करने का आरोप लगाया है.
हालांकि, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्होंने शांति से विरोध प्रदर्शन किया था और प्रशासन की ये कार्रवाई उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश है.
नगर मजिस्ट्रेट विकास कश्यप की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है, “जुमे और ईद की नमाज़ के दौरान बाजुओं पर काली पट्टी बांधकर वक़्फ़ बोर्ड के पारित विधेयक का विरोध किया गया. ये (विरोध करने वाले) लोग आम जनता को उकसा कर और गलत संदेश पहुंचाकर शांति व्यवस्था भंग कर सकते हैं."
नोटिस में ऐसे प्रदर्शनकारियों को 16 अप्रैल की सुबह 10 बजे सिटी मजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया गया है.
फ़ख़रुद्दीन कहते हैं, "हमने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के आह्वान पर मस्जिद के अंदर शांतिपूर्वक काली पट्टी बांधी थी, बाहर कुछ नहीं किया."
मोहम्मद शब्बीर ने बताया, "हमें व्हाट्सएप पर संदेश मिला था. हमने चुपचाप विरोध जताया, फिर भी नोटिस थमा दिया गया."
प्रशासन की इस कार्रवाई का असर मदरसों तक भी पहुंचा है.
शहर के सरवट में स्थित मदरसा महमूदिया के प्रधानाचार्य नईम त्यागी कहते हैं, “मुझे भी पुलिस का एक नोटिस मिला है. मैंने कोई काली पट्टी नहीं बांधी थी. मैंने कोई प्रदर्शन नहीं किया था."
वो कहते हैं, “पुलिस ने वारंट दिया और कहा कि 16 तारीख को कोर्ट में हाज़िर हों. हमारे मदरसे में हज़ारों लोग नमाज़ पढ़ते हैं, मुझे नहीं पता किसने काली पट्टी बांधी. हमारा काम तालीम देना है, वक़्फ़ बिल से हमारा कोई वास्ता नहीं है."
डीआईजी सहारनपुर रेंज अजय साहनी इस संबंध में कहते हैं, “सोशल मीडिया पर रेंज के तीनों जिलों में कार्रवाई हुई है. मुज़फ़्फ़रनगर में दो दर्ज़न से अधिक लोगों पर कार्रवाई हुई है और नोटिस दिए गए हैं."