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Thursday, 29 May 2025

पाकिस्तानी जनरल की सख़्त चेतावनी: ईरान के ख़िलाफ ख़तरों को समाप्त करने का एकमात्र तरीक़ा परमाणु हथियार हासिल करना है!

पाकिस्तानी जनरल की सख़्त चेतावनी: ईरान के ख़िलाफ ख़तरों को समाप्त करने का एकमात्र तरीक़ा परमाणु हथियार हासिल करना है!
पाकिस्तानी सेना के जनरल ने कहा कि ईरान की मिसाइल क्षमता और उन्नत प्रक्षेपण प्रणालियाँ पहले ही विकसित हो चुकी हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि ईरान परमाणु हथियार निर्माण की तकनीक हासिल कर ले और उसका कमांड एवं नियंत्रण ढांचा भी पूर्ण हो जाए, तो फ़िर उसके अस्तित्व के ख़िलाफ कोई ख़तरा नहीं रहेगा।

पार्स टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के पूर्व कमांडर जनरल ख़ालिद नईम लोधी ने ईरान के सरकारी टीवी चैनल सहाब से बातचीत में कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम भू-राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह देश के अस्तित्व और स्वतंत्रता के लिए एक रणनीतिक ज़रूरत है।

उन्होंने अपनी समीक्षा व विश्लेषण में वैश्विक माहौल और बड़ी शक्तियों के व्यवहार का उल्लेख करते हुए कहा: अगर ईरान अब तक परमाणु हथियार नहीं बना पाया है, तो अंतरराष्ट्रीय दबाव जारी रहेगा ताकि वह यह क्षमता कभी हासिल न कर सके लेकिन यदि ईरान इस क्षमता को प्राप्त कर चुका है या इसके बहुत करीब पहुंच चुका है, तो परिस्थितियां बदल जाएंगी और क्षेत्र में शक्ति का संतुलन नया स्वरूप लेगा।

लोधी ने समकालीन इतिहास की ओर वास्तविकता की दृष्टि से इशारा किया कि जिन देशों के पास परमाणु निरोध शक्ति नहीं थी, जैसे लीबिया और इराक़, वे सैन्य आक्रमण के शिकार हुए। ऐसे विश्व में, शक्ति ही एकमात्र भाषा है जिसे माना जाता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई देश मज़बूत होता है, तो दूसरे उससे दूरी बनाते हैं और यदि कमज़ोर होता है, तो उसे आसानी से दबा दिया जाता है।

पाकिस्तानी सेना के जनरल ने ईरान की मिसाइल क्षमता और पहले से विकसित उन्नत प्रक्षेपण प्रणालियों का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि ईरान परमाणु हथियारों के निर्माण की तकनीक हासिल कर ले और उसका कमांड एवं कंट्रोल ढांचा भी पूर्ण हो जाए, तो उसके अस्तित्व को कोई ख़तरा नहीं होगा, क्योंकि उसके पास पहले हमले का जवाब देने या प्रतिशोधात्मक निरोध शक्ति का विकल्प होगा।

वार्तालाप के एक अन्य हिस्से में, उन्होंने ओमान में हाल ही में हुए वार्तालापों में ईरान के प्रस्ताव का भी जिक्र किया जिसमें तेहरान ने कहा है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक संयुक्त परियोजना में बदलने के लिए तैयार है। लोधी ने इस प्रस्ताव को एक चालाक कूटनीतिक रणनीति बताया जो एक तरफ़ अरब पड़ोसी देशों को पारदर्शिता प्रक्रिया में शामिल करता है और दूसरी तरफ़ अमेरिका जैसे देशों को सैन्य कार्रवाई के लिए बहाना देने से रोकता है।

उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि यदि ऐसा तर्कसंगत और साझेदारी वाला प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया तो सैन्य टकराव के लिए कोई नैतिक बहाना नहीं रहेगा और इससे ईरान के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई की वैधता विश्व समुदाय में कमज़ोर हो जाएगी।

जनरल लोधी ने इस्लामिक रिवॉल्यूशन के नेता के उस फतवे का भी हवाला दिया जिसमें परमाणु हथियार बनाने को हराम बताया गया है। उन्होंने कहा कि अगर ईरान सच में इस रास्ते पर नहीं जाना चाहता, तो उसे फिर भी प्रतिबंधों और दबावों का सामना करना पड़ेगा लेकिन अगर अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियाँ अनुमति दें कि ईरान अपनी आर्थिक और क्षेत्रीय भूमिका मजबूत करे और पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, तुर्की, अफग़ानिस्तान और मध्य एशिया के साथ रणनीतिक सहयोग स्थापित करे, तो वह इस धमकी और प्रतिबंधों के चक्र से निकल सकता है।

अंत में, उन्होंने कहा कि जिन देशों ने प्रतिबंधों को अवसर में बदला है, जैसे ईरान, वे भीतर से और भी मजबूत हुए हैं। ख़ालिद नईम लोधी ने ईरान की घरेलू उत्पादन, सैन्य और आर्थिक क्षेत्रों में प्रगति के उदाहरण दिए और इस सहनशीलता को अन्य मुस्लिम देशों के लिए एक मिसाल बताया। MM