ईरान और इजरायल के बीच चल रहे भीषण युद्ध में अमेरिका की भागीदारी ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया है। अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए हैं, जिसके जवाब में ईरान ने होर्मुज जलसंधि (Strait of Hormuz) को बंद करने की धमकी दी है। यह जलमार्ग विश्व के कच्चे तेल के परिवहन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यदि यह मार्ग बंद होता है, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि होर्मुज जलसंधि क्यों महत्वपूर्ण है और इसके बंद होने से क्या परिणाम हो सकते हैं।
होर्मुज जल मार्ग का महत्व
होर्मुज जलसंधि फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को जोड़ने वाला 96 मील लंबा और 21 मील चौड़ा समुद्री मार्ग है, जो ईरान और ओमान-यूएई के बीच स्थित है। इस मार्ग से विश्व का लगभग 20-26% कच्चा तेल और 20% लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) का परिवहन होता है। रोजाना करीब 18-20 मिलियन बैरल कच्चा तेल इस मार्ग से गुजरता है, जिसमें सऊदी अरब, इराक, यूएई और कुवैत जैसे ओपेक देशों का प्रमुख योगदान है।
यह मार्ग ईरान के नियंत्रण में है, और ईरान ने पहले 2011, 2018 और 2020 में इस जलमार्ग को बंद करने की धमकी दी थी, हालांकि इसे कभी लागू नहीं किया गया। अब अमेरिका की सीधी भागीदारी के कारण इस धमकी को गंभीरता से लिया जा रहा है।
जल मार्ग बंद होने के संभावित प्रभाव
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल
यदि होर्मुज जलसंधि बंद होती है, तो वैश्विक कच्चे तेल की आपूर्ति में 15-20% की कमी आ सकती है। इससे तेल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है। जेपी मॉर्गन और अन्य विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक, ब्रेंट क्रूड की कीमत 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है, जबकि कुछ विश्लेषक 150 डॉलर तक का अनुमान लगा रहे हैं। वर्तमान में ब्रेंट क्रूड 77-79 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है, जो पिछले सप्ताह 18% बढ़ा था।
भारत पर प्रभाव
भारत अपनी 80% कच्चे तेल की जरूरत आयात से पूरी करता है, जिसमें से 40-50% होर्मुज जलसंधि के माध्यम से आता है। यदि यह मार्ग बंद होता है, तो भारत के रिफाइनरी संचालन, व्यापार संतुलन और महंगाई पर बुरा असर पड़ सकता है। भारत के पास 74 दिनों का तेल भंडार है, लेकिन लंबे समय तक बंद रहने से यह भंडार अपर्याप्त हो सकता है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमत, माल भाड़ा और रिफाइनरी लागत के आधार पर कीमतें तय होती हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
जलसंधि बंद होने से चीन, दक्षिण कोरिया और यूरोप जैसे देश, जो खाड़ी देशों के कच्चे तेल और LNG पर निर्भर हैं, गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। मरीन इंश्योरेंस प्रीमियम बढ़ेगा, जिससे आयातित सामानों की कीमत और डिलीवरी समय में वृद्धि होगी। डोएश बैंक के अनुमान के अनुसार, 120 डॉलर से अधिक की कीमतें वैश्विक आर्थिक वृद्धि को 1973, 1990 या 2022 जैसे संकट की ओर ले जा सकती हैं।
वैकल्पिक मार्गों की सीमाएं
यदि जलसंधि बंद होती है, तो जहाजों को लंबे और महंगे वैकल्पिक मार्ग अपनाने होंगे, जैसे अबू धाबी पाइपलाइन, जिसकी क्षमता केवल 1.5 मिलियन बैरल प्रति दिन है। यह सीमित क्षमता वैश्विक मांग को पूरा नहीं कर सकती, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान होगा।
ईरान क्यों बंद कर सकता है जल मार्ग?
ईरान के सर्वोच्च नेता के सलाहकार ने हाल ही में जलसंधि बंद करने की वकालत की है, जिसे अमेरिकी हमलों का जवाब माना जा रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम ईरान के लिए आर्थिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि इसका 1.5-2 मिलियन बैरल प्रति दिन का निर्यात भी इस मार्ग पर निर्भर है, जो मुख्य रूप से चीन को जाता है। अतीत में, ईरान ने ऐसी धमकियों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में दबाव बनाने के लिए किया है।