प्रयागराज: जनवरी 2025 को प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान हुई भगदड़ ने देश को झकझोर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस हादसे में 37 लोगों की मौत की बात कही, लेकिन बीबीसी हिंदी की एक ताजा जांच ने इस आंकड़े पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि कम से कम 82 लोग इस त्रासदी में मारे गए। इस खुलासे ने न केवल सरकारी दावों की सत्यता पर सवाल खड़े किए, बल्कि विपक्षी नेताओं, खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सरकार पर हमला बोलने का मौका दिया।
बीबीसी की जांच ने खोली सच्चाई
बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट, जो 10 जून 2025 को प्रकाशित हुई, ने 11 राज्यों के 50 से अधिक जिलों में 100 से ज्यादा परिवारों से बातचीत के आधार पर दावा किया कि महाकुंभ में हुई भगदड़ में कम से कम 82 लोगों की जान गई। जांच में पाया गया कि कुछ परिवारों को 5 लाख रुपये नकद मुआवजे के रूप में दिए गए, लेकिन उनके परिजनों को आधिकारिक मृतक सूची में शामिल नहीं किया गया। कई परिवारों ने दावा किया कि उन्हें अपने परिजनों की मौत को "अचानक बीमारी" के रूप में दर्ज करने के लिए दबाव डाला गया। बीबीसी ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, अस्पताल के दस्तावेज और घटनास्थल की तस्वीरों-वीडियोज के आधार पर अपनी जांच को पुख्ता बताया।
राहुल गांधी का सरकार पर हमला
कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बीबीसी की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला। 11 जून 2025 को अपने एक्स पोस्ट में राहुल गांधी ने लिखा, "बीबीसी की रिपोर्ट बताती है कि कुंभ मेले की भगदड़ में हुई मौतों के आंकड़े छुपाए गए। जैसे कोविड में गरीबों की लाशें आंकड़ों से मिटा दी गई थीं। जैसे हर बड़े रेल हादसे के बाद सच्चाई दबा दी जाती है। यही तो बीजेपी मॉडल है - गरीबों की गिनती नहीं, तो जिम्मेदारी भी नहीं!" राहुल गांधी ने सरकार से सवाल किया कि आखिर कब तक सच्चाई को छिपाया जाएगा और जनता को अंधेरे में रखा जाएगा। उन्होंने इस हादसे को प्रशासनिक लापरवाही और "वीआईपी संस्कृति" का परिणाम बताया, जिसके चलते आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया।
क्या थी भगदड़ की वजह?
महाकुंभ मेला, जो हर 12 साल में प्रयागराज में आयोजित होता है, दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के दिन, जब लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर स्नान के लिए उमड़े, भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। पुलिस के अनुसार, कुछ श्रद्धालुओं ने बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, जिससे हालात बेकाबू हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीड़ में बुजुर्ग और महिलाएं विशेष रूप से प्रभावित हुईं, और कई घंटों तक शव घटनास्थल पर पड़े रहे बिना किसी तत्काल मदद के।
सरकार का रुख और मुआवजा विवाद
उत्तर प्रदेश सरकार ने आधिकारिक तौर पर 37 मौतों की पुष्टि की और मृतकों के परिवारों के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की। हालांकि, बीबीसी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 26 परिवारों को 5 लाख रुपये नकद दिए गए, लेकिन उनके परिजनों को मृतक सूची में शामिल नहीं किया गया। इसके अलावा, 19 अन्य परिवारों ने दावा किया कि उनके परिजनों की मौत भगदड़ में हुई, लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे को ज्यादा तूल न देने की बात कही, ताकि "आतंक" न फैले, लेकिन विपक्ष ने इसे तथ्यों को छिपाने की कोशिश करार दिया।
विपक्ष की मांग: सच्चाई और जवाबदेही
राहुल गांधी के अलावा, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी बीबीसी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि नकद मुआवजे का स्रोत क्या था और इसे बांटने की मंजूरी किसने दी। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी कहा, "कुंभ भगदड़ में कम से कम 82 लोग मारे गए। यह संख्या सरकार के 37 के आंकड़े से कहीं ज्यादा है।" विपक्ष ने इस मामले में पारदर्शिता और कठोर कार्रवाई की मांग की है, साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत पर जोर दिया है।