पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision of Electoral Rolls) की घोषणा के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। तेजस्वी ने इस पुनरीक्षण को गरीब मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश करार दिया है और इसे लोकतंत्र के खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र बताया है।
तेजस्वी यादव के आरोप
तेजस्वी यादव ने शुक्रवार, 27 जून 2025 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “चुनाव आयोग ने अचानक से विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा की है। इसका मतलब है कि फरवरी 2025 में जारी हुई वोटर लिस्ट को, जिसमें बिहार के लगभग आठ करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल थे, अब पूरी तरह साइड कर दिया गया है। अब नए सिरे से वोटर लिस्ट बनाई जाएगी।” उन्होंने सवाल उठाया, “चुनाव से ठीक दो महीने पहले यह काम क्यों शुरू किया जा रहा है? क्या 25 दिनों में आठ करोड़ लोगों की वोटर लिस्ट बनाना संभव है?”
तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोलते हुए दावा किया, “नीतीश कुमार चाहते हैं कि गरीबों के नाम वोटर लिस्ट से कट जाएं। इसमें साफ साजिश की बू आती है, और इस साजिश में नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा योगदान है। ये लोग डरे हुए हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि बिहार की जनता उनके खिलाफ मतदान करेगी।”
चुनाव आयोग की घोषणा
भारत निर्वाचन आयोग ने मंगलवार, 24 जून 2025 को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान की घोषणा की थी। आयोग के अनुसार, इस अभियान का उद्देश्य सभी पात्र नागरिकों के नाम मतदाता सूची में शामिल करना और अपात्र, मृत, या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना है। इसके लिए बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे। 1 अक्टूबर 2025 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवा मतदाताओं को भी इस सूची में शामिल किया जाएगा। ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होगी, और अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को जारी की जाएगी।
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत होगी, जिसमें सख्ती से कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाएगा। आयोग का दावा है कि यह अभियान पारदर्शी होगा और राजनीतिक दलों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
तेजस्वी और विपक्ष का विरोध
तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि मतदाता सूची में नाम शामिल करने के लिए मांगे जा रहे दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड और मनरेगा जॉब कार्ड को मान्यता न देना, गरीबों के लिए मुश्किलें खड़ी करेगा। उन्होंने कहा, “लाखों गरीब परिवारों के पास ऐसे दस्तावेज नहीं हैं। यह साजिश गरीबों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों को मतदान के अधिकार से वंचित करने की है।”
आरजेडी, कांग्रेस और वामदलों सहित इंडिया गठबंधन के नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर चुनाव आयोग के फैसले का विरोध किया। तेजस्वी ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव 2024 के बाद यह प्रक्रिया शुरू की जा सकती थी, लेकिन इसे जानबूझकर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुरू किया गया है। उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र और संविधान के साथ मजाक है। हम किसी भी कीमत पर चुनाव आयोग की मनमानी नहीं चलने देंगे।”
पिछले विवाद और संदर्भ
बिहार में मतदाता सूची को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और आरजेडी, ने आरोप लगाया था कि 2003 के विशेष पुनरीक्षण में राजनीतिक संरक्षण के चलते बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के नाम फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वोटर लिस्ट में शामिल किए गए थे। इस बार आयोग ने सख्ती बरतते हुए घोषणा पत्र और साक्ष्य को अनिवार्य किया है ताकि फर्जी नामों को रोका जा सके।
चुनाव आयोग का कहना है कि तीव्र शहरीकरण, पलायन, मृत्यु की जानकारी न मिलना, और अवैध प्रवासियों के नाम सूची में शामिल होने जैसे कारणों से यह विशेष पुनरीक्षण जरूरी हो गया है। आयोग का लक्ष्य एक साफ, सटीक और भरोसेमंद मतदाता सूची तैयार करना है।
नीतीश कुमार और बीजेपी पर निशाना
तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि जेडीयू और बीजेपी की डबल इंजन सरकार बिहार की जनता के खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार और पीएम मोदी इस साजिश के पीछे हैं, क्योंकि वे आरजेडी और महागठबंधन की बढ़ती ताकत से डरे हुए हैं।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। तेजस्वी यादव और इंडिया गठबंधन ने इसे गरीबों और हाशिए के समुदायों के मतदान के अधिकार को छीनने की साजिश करार दिया है, जबकि चुनाव आयोग इसे पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया बता रहा है। यह विवाद बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है, क्योंकि मतदाता सूची का मुद्दा चुनावी रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।