अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ईरान पर तत्काल हमले की योजना बनाते दिख रहे थे, लेकिन अब स्थिति पलट गई है। ट्रम्प ने पहले तेहरान में "कुछ बड़ा" होने का इशारा किया था और शहर खाली करने की चेतावनी दी थी। उन्होंने ईरान को बार-बार धमकियां दीं और मध्य-पूर्व में फाइटर जेट व युद्धपोत तैनात किए। हालांकि, अब उन्होंने ईरान को दो हफ्ते का समय दे दिया है, जिससे उनकी रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। दूसरी ओर, ईरान और इज़रायल के बीच मिसाइल व ड्रोन हमले जारी हैं, और इज़रायल ने अपने इतिहास में पहली बार इतने तीव्र हमले देखे हैं।
ट्रम्प का यू-टर्न: क्या अमेरिका मध्य-पूर्व में कमजोर पड़ रहा है?
विश्व को लग रहा था कि इज़रायल-ईरान युद्ध में अमेरिका शामिल होकर ईरान में भारी तबाही मचाएगा। लेकिन ट्रम्प के पीछे हटने और दो हफ्ते का समय देने से सवाल उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका मध्य-पूर्व में अपनी स्थिति खो रहा है। ट्रम्प की नीतियां हमेशा विरोधाभासी रही हैं। पहले वह ईरान के साथ कूटनीतिक समाधान के पक्षधर थे, लेकिन अब उनकी आक्रामक रुख ने परिस्थिति को जटिल कर दिया है।
ट्रम्प की नीति से समर्थक नाराज
इज़रायल का समर्थन करने के मुद्दे पर ट्रम्प के "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" अभियान के समर्थक बंटे हुए हैं। अल जज़ीरा की 14 जून की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प समर्थक मार्जोरी टेलर ग्रीन और चार्ली किर्क युद्ध के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि युद्ध में उलझना "अमेरिका फर्स्ट" सिद्धांत के खिलाफ है। ट्रम्प पर अपने समर्थकों का दबाव साफ दिख रहा है, क्योंकि वह उन्हें नाराज नहीं करना चाहते। साथ ही, कांग्रेस और वैश्विक समुदाय का दबाव भी उनकी मंशा पर असर डाल रहा है।
ट्रम्प की इस पलटी और रणनीतिक अनिश्चितता ने वैश्विक मंच पर अमेरिका की स्थिति को और जटिल कर दिया है।